भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले एक महीने से जारी तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी हफ्ते गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की जान चली गई थी। आशंका है कि चीन फिर इसी तरह की मुठभेड़ को अंजाम दे सकता है। फिलहाल दोनों सेनाएं लद्दाख में तीन जगहों पर आमने-सामने हैं। इस बीच इंडो-तिब्बती बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के दो हजार जवानों को चीन से सटी सीमाई इलाकों में भेजा जा सकता है, ताकि सीमा पर निगरानी बढ़ाई जा सके और दोनों सेनाओं के बीच मौजूदा स्टैंडऑफ में भारत को मजबूती मिले।

आईटीबीपी के जवान इस वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों में ड्यूटी कर रहे हैं। हालांकि, इन्हें लद्दाख में बिगड़ते हालात के बीच पूरी तरह सीमा पर ही भेजने की बात हो रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अफसर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि चीन से सटी सीमाओं पर 20 आईटीबीपी की कंपनियों को भेजा जा सकता है।

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आईटीबीपी के जवान लंबे समय से भारत और चीन के बीच 3488 किमी की सीमा की रक्षा में ही जुटे हैं। इन्हें काराकोरम पास से लेकर केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 180 बॉर्डर पोस्ट्स पर तैनात किया गया है। माना जा रहा है कि अगर भारत-चीन सीमा पर कुछ दिन शांति नहीं होती है, तो हिंसक घटनाएं आगे भी हो सकती हैं। पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा है कि जब सैनिक आमने-सामने हों तो एक छोटी सी चिंगारी भी आग का रूप ले लेती है।

बता दें कि 15-16 जून की दरमियानी रात भारत और चीनी सेना के बीच गलवान घाटी में मुठभेड़ हो गई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के भी 43 जवानों की मौत हुई थी। हालांकि, जहां भारत ने अपने शहीद और घायल जवानों की जानकारी दी है, वहीं चीन ने अब तक इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया है। चीनी मीडिया ने भी इस खबर को दबा दिया।