शुक्रवार को एक प्राइवेट न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अडानी मसले पर कांग्रेस से इतर रखने के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार ने शनिवार को एकबार फिर से अडानी पर भी बात की। शनिवार को शरद पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि JPC की मांग हमारे सभी साथियों ने की, ये बात सच है मगर हमें लगता है कि JPC में 21 में से 15 सदस्य सत्ताधारी पार्टी के होंगे। उन्होंने यहां ज्यादातर लोग सत्ताधारी पर्टी के हों वहां देश के सामने सच्चाई कहां तक आएगी।

उद्योगपतियों के योगदान पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि एक जमाना ऐसा था जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे। टाटा का देश में योगदान है। आजकल अंबानी-अडानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है, इस बारे में सोचने की आवश्यकता है।

NDTV को इंटरव्यू में क्या कहा?

NCP चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) ने अडानी समूह मामले पर विपक्ष के नेताओं से हटकर राय दी है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अडानी समूह को अज्ञात संस्थाओं द्वारा “निशाना” बनाया जा रहा है। इंटरव्यू में शरद पवार ने इन संस्थानों के इरादों पर सवाल भी उठाया।

इंटरव्यू के दौरान शरद पवार ने शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) की JPC जांच की कांग्रेस की मांग से खुद को अलग कर लिया और कहा कि वह इस मामले पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष द्वारा संसद को ठप करने से सहमत नहीं हैं।

शरद पवार ने कहा कि इस बार मुद्दे को जरूरत से ज्यादा अहमियत दी गई। जो मुद्दे उठाए गए, किसने उठाए, बयान देने वाले इन लोगों (हिंडनबर्ग) के बारे में हमने कभी नहीं सुना, उनकी पृष्ठभूमि क्या है? जब वे ऐसे मुद्दे उठाते हैं जो पूरे देश में हंगामा खड़ा कर देते हैं, तो इसकी कीमत देश की अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ती है। हम इन बातों को नज़रअंदाज नहीं कर सकते। ऐसा लगता है कि यह टारगेटड था।

शरद पवार ने कहा कि अडानी मामले की जांच के लिए एक मांग उठाई गई और सुप्रीम कोर्ट ने पहल की और एक समिति नियुक्त की जिसने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, विशेषज्ञों, एडमिनिस्ट्रेटर और अर्थशास्त्रियों दिया।

उन्होंने कहा कि समिति को दिशा-निर्देश दिए गए हैं, एक समय सीमा दी गई है और जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मसले में संसदीय कमेटी की जांच चाहता था और संसद में बीजेपी के पास बहुमत है।

शरद पवार ने कहा कि यह डिमांड रूलिंग पार्टी के खिलाफ थी। सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ जांच करने वाली समिति में सत्ता पक्ष के बहुमत वाले सदस्य होंगे। सच कैसे सामने आएगा, आशंका हो सकती है। अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच करे, जहां कोई प्रभाव नहीं है, तो सच्चाई सामने आने की बेहतर संभावना है।