Crime Against Women: राजधानी दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के मामले कम नहीं हो रहे हैं। अभी तक के पुलिस में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं से बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाओं में मामूली कमी आई है लेकिन घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं। सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली बात है कि पुलिस में दर्ज मामले और कार्रवाई में महिलाओं से अपराध के 97 फीसद मामलों में उनके जानने वाले ही आरोपी बनकर सामने आ रहे हैं, तीन फीसद अजनबी हैं।
दिल्ली पुलिस की ओर से 2019 के 15 जुलाई तक के महिलाओं के खिलाफ दर्ज आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि राजधानी में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध में उनके जानने वाले लोग सामने आ रहे हैं। बलात्कार, छेड़छाड़ और फब्तियां कसने के मामले में काफी उतार चढ़ाव सामने आया है। बलात्कार के मामले साल 2018 में 1185 दर्ज किए गए थे वहीं इस साल यह अभी तक यह 1176 पर है। दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामलों में थोड़ी कमी है। साथ ही इस साल महिला अपहरण के 2010, बंधक बनाने के 109, दहेज हत्या के 66 और महिलाओं के साथ गलत शब्दों के प्रयोग के 242 मामले सामने आए हैं।
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दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त प्रवक्ता अनिल कुमार मित्तल ने इस बाबत बताया कि ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि 97 फीसद आरोपी पीड़ित के किसी ने किसी प्रकार से परिचित हैं जबकि तीन फीसद अजनबी होते हैं। स्कूलों में लगाए गए ‘निर्भीक बॉक्स’ और सोशल मीडिया पर ‘हिम्मत प्लस एप’ की जागरूकता का असर दिख रहा है। कामकाजी महिलाओं से लेकर स्कूल, कॉलेज तक में आत्मरक्षा प्रशिक्षण का असर यह हुआ है कि पीड़िता सामने आ रही हैं। छात्राओं की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के जवान और महिला पुलिसकर्मियों को स्कूल और कॉलेज के पास गश्त के लिए लगाया गया है। स्कूलों में लगे निर्भीक बॉक्स में छात्राएं शिकायत कर रही हैं । प्रवक्ता का कहना है कि कई मामले ऐसे आते हैं जब घरेलू हिंसा की शिकायत पर दोनों पक्षों को समझाया (काउंसिलिंग) जाता है। सफलता न मिलने पर एफआइआर दर्ज की जाती है। हेल्पलाइन नंबर और मेट्रो में निर्देश है कि मामला कहीं का हो अगर दिल्ली में शिकायत होती है तो उसे दर्ज संबंधित थाने या जिले में भेजा जाए।