सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अपने आप में ही एक अलग शख्सियत हैं। उनका फलसफा हमेशा ही दूसरों से जुदा होता है। उनका मानना है कि भारत की अदालतों में दो तरह के जज होते हैं। उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से बयां किया कि दोनों तरह के जज किस तरह से अपना काम करते हैं। लेकिन दोनों ही तरह के जजों की अदालतों में दोनों पक्षों के वकीलों के लिए अपने तर्क वितर्कों को पेश करने की पूरी आजादी होती है। वो खुलकर बात करते हैं।

एक सम्मिट के दौरान सीजेआई ने बताया कि पहली तरह के जज वो होते हैं जो Devil’s Advocate की तरह से काम करते हैं। यानि इस तरह के जज अपने काम के दौरान केस के सबसे खराब पक्ष को लेते हैं। उनका मानना होता है कि बहस को आगे बढ़ाने के लिए ये तरीका सबसे ज्यादा कारगर है।

CJI बोले- दोनों ही तरह के जजों की अदालतों में होती है जोरदार बहस

सीजेआई ने बताया कि दूसरी तरह के जज अपने काम को एक लय बद्ध अंदाज में आगे बढ़ाते हैं। उनकी कोशिश होती है कि वो बहस को तार्किक अंजाम तक पहुंचाए। सीजेआई का कहना था कि हो सकता है कि इससे सुनवाई कुछ लंबी खिंचती हो लेकिन दोनों पक्षों को बराबर मौका मिलता है।

नवंबर 2022 में भारत के 50वें CJI बने थे चंद्रचूड़

डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म नवंबर 1959 में हुआ था। वो फिलहाल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया हैं। 9 नवंबर 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के 50 वें चीफ जस्टिस के रूप में उन्हें शपथ दिलाई। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रह चुके हैं। वह और बंबई हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस भी रहे हैं। चंद्रचूड़ को अपने तल्ख तेवरों के लिए जाना जाता है। अपने विगत फैसलों में की गई टिप्पणियों को लेकर ये आम धारणा बन चुकी है।

फिलहाल केंद्र सरकार के साथ उनका जजों की नियुक्ति के मसले पर 36 का आंकड़ा है। कॉलेजियम की सिफारिशों को सख्ती से लागू कराने को लेकर वो सरकार को हिदायत भी जारी कर चुके हैं। मद्रास हाईकोर्ट के वकील को जज बनाने को लेकर वो हाल में कॉलेजियम के जरिये प्रस्ताव पारित करके केंद्र को सख्त हिदायत भी दे चुके हैं। हालांकि सरकार ने अभी तक जॉन सत्यन को जज बनाने की सिफारिश को मंजूर नहीं किया है।