Swati Maliwal Assault Case: आप नेता और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार के द्वारा किया गया हमला इस समय देश में राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है। दिल्ली पुलिस ने बिभव कुमार के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। ऐसे में अब हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि क्या सीएम केजरीवाल के पीए के पास पुलिस के शिकंजे से बचने के लिए क्या-क्या कानूनी ऑप्शन हैं।
मुख्यमंत्री आवास में मारपीट के आरोपों में घिरे केजरीवाल के करीबी बिभव कुमार के पास इस समय केवल दो ही ऑप्शन हैं। पहले विकल्प की बात करें तो वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर कर सकते हैं। वहीं, दूसरे ऑप्शन में उनके खिलाफ दर्ज दिल्ली पुलिस की एफआईआर को रद्द करवाने के लिए उनको कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
अग्रिम जमानत का पहला ऑप्शन
अब हम सबसे पहले ऑप्शन यानि की अग्रिम जमानत की बात करेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार अपने ऊपर लगे आरोपों के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सीआरपीसी की धारा 438 के तहत गिरफ्तारी से बचने के लिए वह कोर्ट में अग्रिम जमानत दायर कर सकते हैं। इसमें एक बात और ध्यान देने लायक है कि कोर्ट भी जमानत उसी स्थिति में मंजूर करता है, जब उसे लगे कि आरोप बेबुनियाद हैं या फिर आरोपी कहीं पर फरार नहीं होगा।
एफआईआर रद्द कराने के लिए कोर्ट में याचिका दायर करना
आम आदमी पार्टी और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल मामले में अपने खिलाफ एफआईआर को रद्द कराने के लिए भी बिभव कुमार कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। वह सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर रद्द कराने के लिए कोर्ट का रूख कर सकते हैं। अगर कोर्ट को लगता है कि कुमार के ऊपर लगाए गए आरोप सही नहीं हैं या बेबुनियाद हैं तो एफआईआर को कोर्ट रद्द कर सकता है।
पुलिस ने किन धाराओं में दर्ज किया केस
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल के पीए विभव कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल) के अलावा धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 509 (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से कोई शब्द बोलना या कोई इशारा करना) और धारा 323 (हमला करना) के तहत मामला दर्ज किया है।