Sanjay Singh Moves Supreme Court: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें कम नामांकन वाले 105 प्राथमिक स्कूलों को बंद करने और तीन किलोमीटर के दायरे में नजदीकी स्कूलों में विलय करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय अप्रयुक्त स्कूलों को समेकित करने की नीति (Policy To Consolidate Unutilised Schools) के तहत लिया गया है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, संजय सिंह ने यूपी सरकार के इस कदम को मनमाना, असंवैधानिक और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 के खिलाफ बताया है।

अधिवक्ता श्रीराम परक्कट के माध्यम से दायर उनकी याचिका में 16 जून के सरकारी आदेश और 24 जून को जारी की गई परिणामी सूची को चुनौती दी गई है, जिसमें पेयरिंग स्कूलों (Policy To Consolidate Unutilised Schools) की पहचान की गई है।

याचिका के अनुसार, कार्यरत पड़ोस के स्कूलों को बिना किसी वैधानिक आधार के बंद कर दिया गया है और उनका विलय कर दिया गया है, जिससे बच्चों, विशेष रूप से हाशिए की पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों को संविधान के अनुच्छेद 21ए (6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार) का उल्लंघन करते हुए अनुचित दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि उत्तर प्रदेश आरटीई नियमावली के नियम 4(1)(ए) के साथ आरटीई अधिनियम की धारा 6 के अनुसार, कम से कम 300 की आबादी वाली बस्तियों के एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध होना आवश्यक है। नियम 4(2) के तहत अपवाद केवल तभी विचलन की अनुमति देते हैं, जब परिवहन या आवासीय सुविधाओं जैसे प्रतिपूरक उपाय प्रदान किए जाते हैं, जो याचिका में कहा गया है कि उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं।

संजय सिंह के अनुसार, इस नीति में विधायी मंजूरी का अभाव है तथा इसमें आरटीई अधिनियम की धारा 21 के तहत स्कूल प्रबंधन समितियों के साथ अनिवार्य परामर्श की भी अनदेखी की गई है।

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याचिका में दावा किया गया है कि यह निर्णय शैक्षणिक वर्ष के मध्य में बिना किसी सार्वजनिक सूचना, हितधारकों की राय या एकसमान मानदंड के लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप कक्षाओं में भीड़भाड़, बुनियादी ढांचे में कमी और पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने की समस्या उत्पन्न हो गई।

याचिका में आगे कहा गया है कि विकलांग बच्चे, लड़कियां, और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चे असमान रूप से प्रभावित हुए हैं। सिंह ने तर्क दिया है कि कई परिवारों ने सुरक्षा चिंताओं और रसद संबंधी कठिनाइयों के कारण अपने बच्चों को वापस बुला लिया है, खासकर जहां स्कूल अब राजमार्गों, नदियों या जंगलों के पार स्थित हैं। आप नेता के अनुसार, 16 जून का आदेश कई संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने के अलावा, बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीआरसी) के तहत भारत के दायित्वों के भी विपरीत है। वहीं, बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही है। पढ़ें…पूरी खबर।