आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ेगा। पटियाला हाउस कोर्ट ने अपने उस अंतरिम आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें उसने राज्यसभा सचिवालय को राघव चड्ढा से बंगला खाली न करवाने का निर्देश दिया था।
इस आदेश के खिलाफ दायर सचिवालय की याचिका पर अपने आदेश में कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बंगला का अलॉटमेंट रद्द होने के बाद राघव चड्ढा का उस बंगले में रहने का कोई औचित्य नहीं बनता है। राघव चड्डा ये दावा नहीं कर सकते कि राज्यसभा के सांसद के तौर पर कार्यकाल पूर्ण होने तक उनका इस बंगले पर रहने का अधिकार बनता ही है।
राघव चड्ढा को राज्यसभा सांसद बनने के बाद दिल्ली के पंडारा रोड पर टाइप-VII का बंगला आवंटित हो गया था, लेकिन बाद में पता चला कि पहली बार सांसद बने राघव चड्ढा इसके लिए अधिकृत नहीं थे।
क्या कहता है नियम-
नियम के तहत पहली बार सांसद बनने वाले नेताओं को सरकारी फ्लैट आवंटित किया जाता है। अपनी भूल सामने आने के बाद राज्यसभा सचिवालय ने बंगला खाली कराने के लिए नोटिस दिया था, जिसे राघव चड्ढा ने चुनौती दी और कहा कि बतौर सांसद उन्हें एक बार निवास आवंटित हो गया है तो सांसद रहते हुए उसे खाली नहीं करवाया जा सकता।
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता बतौर राज्यसभा सांसद अपने पूरे कार्यकाल में बंगले में रहने का अधिकार नहीं जता सकते। अगर उसका आवंटन खारिज हो जाता है, तो उन्हें उसे खाली करना होगा। राज्यसभा सचिवालय के वकील ने दलील देते हुए कहा था कि राज्यसभा सांसद होने के नाते राघव चड्ढा को टाइप- VI बंगला आवंटित करने का अधिकार है, न कि टाइप- VII बंगला।
पटियाला हाउस कोर्ट में राघव चड्ढा को बंगला खाली करने के मामले में लगाई अंतरिम रोक को हटाया। कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय के बंगला खाली करने के नोटिस को सही ठहराया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा राघव चड्डा के पास टाइप-VII बंगले पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है, क्योंकि यह केवल एक सांसद के रूप में उन्हें दिया गया विशेषाधिकार था।
