मनोज कुमार मिश्र
दिल्ली में लगातार दो बार प्रचंड बहुमत से विधान सभा चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी अगले साल के शुरू में होने वाले दिल्ली नगर निगमों के चुनाव जीतने के लक्ष्य के साथ पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा के विधानसभा चुनावों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाने की तैयारी में जुट गई है। 26 अक्तूबर, 2012 को पार्टी की स्थापना होने के बाद से आप दिल्ली के अलावा कई राज्यों के चुनाव में भाग्य आजमाती रही है। यह आम धारणा बन गई थी कि 2017 में शिरोमणि अकाली दल के दस साल के लंबे शासन काल से नाराज पंजाब की जनता कांग्रेस के कमजोर संगठन के मुकाबले नई पार्टी आप को ज्यादा समर्थन देगी लेकिन चुनाव में जीत कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुआई में कांग्रेस की हुई।
इस बारआप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप के पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने पर किसी सिख नेता को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की है। जिस बिजली-पानी फ्री करने के बूते दिल्ली में भारी जीत पाई, उसे ही चुनाव होने वाले सभी राज्यों में केजरीवाल लगातार दुहरा रहे हैं। वे विधानसभा होने वाले दूसरे राज्यों में उन्होंने हर महीने तीन सौ यूनिट उपयोग करने वाले को फ्री बिजली देने का वायदा कर रहे हैं।
कांग्रेस की कमजोरी और भाजपा की अधूरी तैयारी के कारण और बिजली-पानी फ्री करने के वादे ने आप को 2015 के चुनाव में दिल्ली विधानसभा में रेकॉर्ड 54 फीसदी वोट के साथ 67 सीटों पर जीत दिलवा दी। दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने दिल्ली से बाहर पार्टी को न ले जाने का घोषणा कर दी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि पार्टी को वोट उनके नाम से मिलते हैं। बाद में उन्होंने खुद अपने फैसले को बदलते हुए 2017 में पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। गोवा में तो आप को सफलता नहीं मिली लेकिन पंजाब में बेहतर नतीजे मिले।
117 सीटों की विधान सभा में कांग्रेस को 77 सीटें और आप को 20 सीटें मिली। दस साल से प्रदेश सरकार चला रही अकाली दल-भाजपा को केवल 18 सीटें मिली। इस बार हालात और बदले हुए हैं। अकाली दल और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ेगें और कांग्रेस आपसी झगड़े में फंसी है। 2017 के दिल्ली नगर निगमों के चुनाव में आप भले ही भाजपा को सत्ता में आने से भले ही नहीं रोक पाई लेकिन कांग्रेस को पीछे करके दूसरे स्थान पर पहुंच गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में आप को केवल पंजाब से एक सीट मिल पाई। दिल्ली में 2014 लोकसभा चुनाव की तरह भले कोई सीट नहीं जीत पाई लेकिन दूसरे नंबर पर आई।
आप के नेताओं को लगता है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की कमजोरी से जो जगह बनी है वह क्षेत्रीय दलों की सहायता से वे भर देंगे। दिल्ली का बिजली-पानी फ्री का फामूर्ला हर राज्य में कारगर हो सकता है। इसके अलावा आप ने हर राज्य के लिए अपना प्रभारी तय करके काम तो शुरू कर ही दिया है। उत्तर प्रदेश मूल के दिल्ली से राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने अयोध्या मंदिर के लिए खरीदी गई जमीन में कथित घोटाला के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। वे उत्तर प्रदेश सरकार पर लगातार हमला करके अपनी और अपनी पार्टी की मौजूदगी का एहसास करवाने में लगे हैं। पंजाब में तो आप का संगठन पहले से है। पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब जाकर विधानसभा जीतने के बाद किसी सिख को मुख्यमंत्री बनाने का वादा करके सिख मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया था। वे सत्ताधारी कांग्रेस के झगड़े का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं।
केजरीवाल ने गुजरात और उत्तराखंड का दौरा करके वहां सत्ता में आने पर तीन सौ यूनिट तक बिजली फ्री करने की घोषणा कर दी। आप पहले भी गुजरात में भाग्य आजमा चुकी है लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है। आप की असली तैयारी तो दिल्ली के तीनों नगर निगमों में जीत हासिल करना है। 15 साल से निगमों में भाजपा की जीत होती रही है।
माना जा रहा है कि दिल्ली के नगर निगमों के चुनाव अगले साल के शुरू में ही हो जाएंगे। दिल्ली की आप सरकार नीचे निगमों में भाजपा और केंद्र सरकार में भाजपा शासन को अपने कामकाज में बाधा मानती रही है। जिन राज्यों में आप चुनाव लड़ने की तैयारी में है, उनमें पंजाब के अलावा सभी राज्यों में भाजपा का शासन है। इन चुनावों में भागीदारी करके आप एक बार फिर अपने को अखिल भारतीय पार्टी बनाने की कोशिश में है।