समन हुसैन की रिपोर्ट

Delhi Election: इस बार के लोकसभा चुनाव ने इंडिया गठबंधन को दिल्ली में काफी मायूस करने का काम किया। दोनों आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन कर बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की कोशिश की, लेकिन 10 साल बाद भी भाजपा ने सभी सात सीटों पर जीत दर्ज की। अब उस करारी शिकस्त के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच में फिर किसी गठबंधन की उम्मीद नहीं रह गई है।

आखिर आप से क्यों नाराज कांग्रेस?

इस समय कांग्रेस ने दिल्ली में करारी हार पर कई रिव्यू मीटिंग की है, बड़े नेताओं को साथ बुलाया है। निष्कर्ष निकला है कि आम आदमी पार्टी ने खुलकर कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए वोट नहीं मांगे, उनकी तरफ से उस तरह का समर्थन नहीं मिला जो मिलना चाहिए था। इस बात की भी आशंका जाहिर कर दी गई है कि आम आदमी पार्टी को डर था कि विधानसभा चुनवा में कहीं उसका वोट कांग्रेस को शिफ्ट ना कर जाए, इस वजह से भी जमीन पर गठबंधन कमजोर हुआ।

कांग्रेस को दिल्ली में हार की वजह क्या लगती?

अब इन्हीं मुद्दों पर जब रिव्यू मीटिंग में चर्चा हुई तो कांग्रेस के कम से कम 90 नेताओं ने अपने विचार रखे, कई ने फोन के जरिए भी अपनी बात को आगे बढ़ाया। ज्यादातर नेताओं का मानना रहा कि 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन नहीं हो सकता है। जिन तीन प्रत्याशियों को कांग्रेस ने दिल्ली में उतारा था, उन्होंने भी एक सुर में आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है। एक नेता जरूर ऐसे सामने आए जिन्होंने कांग्रेस के बड़े नेताओं पर भी उनके खिलाफ ही प्रचार करने का आरोप जड़ दिया।

आप से दूरी, कांग्रेस को फायदा क्यों दिख रहा?

इस समय कांग्रेस को किसी भी तरह से दिल्ली में खोई हुई जमीन को फिर हासिल करना है, ऐसे में पार्टी आम आदमी पार्टी के खिलाफ बने गुस्से को भी भुनाना चाहती है। जिस तरह से कथित शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल से लेकर मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हो चुके हैं, कांग्रेस के कई नेता मान रहे हैं कि आप के खिलाफ बना गुस्सा उन्हें खड़ा होने में मदद दे सकता है। कांग्रेस का साफ कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर जरूर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन रहेगा, लेकिन लोकल लेवल पर साथ में काम संभव नहीं।

नतीजों के तुरंत बाद खत्म हुई दोस्ती!

वैसे अगर लोकसभा नतीजों के बाद से ही कांग्रेस की रणनीति की समीक्षा की जाए तो पता चलता है कि आम आदमी पार्टी के खिलाफ तो वो काफी पहले हो चुकी है। बात चाहे हीटवेव के दौरान दिल्ली की व्यवस्था की हो या फिर सड़कों पर होने वाले जलभराव की, बात चाहे भ्रष्टाचार को लेकर केजरीवाल से लेकर मंत्रियों आतिशी-सौरभ पर हमला करने की हो या फिर किसी अन्य मुद्दे की, किसी भी तरह की दोस्ती अब देखी नहीं जा सकती है।

इतना विरोध, फिर भी यहां मिलता रहेगा समर्थन

अभी के लिए यह जरूर है कि म्यूनिसिपल स्तर पर दोनों कांग्रेस और आप के बीच में आपसी सहमति रहने वाली है। बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन कर सकते हैं। ऐसे में इस तरह की दोस्ती को दिल्ली की जनता किस तरह से देखती है, इसी पर निर्भर रहने वाला है दोनों आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का सियासी भविष्य।