राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर गुरुवार को गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अयोध्या मामले में संभावित फैसले से पहले सतर्क रहने की सलाह दी है। राज्य व केंद्र ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या में प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। पुरे शहर की ड्रोन से निगरानी की जा रही है। बताया जा रहा है कि सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से अयोध्या को तीन सेक्टर में सामान्य, संवेदनशील और अतिसंवेदनशील में बांटा जाएगा। चीफ जस्टिफ ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच अयोध्या मुद्दे को लेकर फैसला सुनाने वाली है।
इस बीच, गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश खासतौर से अयोध्या में सुरक्षा के लिए अर्द्धसैन्य बलों के करीब 4,000 र्किमयों को भेजा है। वहीं सूत्रों ने बताया कि रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के परामर्श में जानकारी दी गई है कि उसके सभी कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई है। उन्हें ट्रेनों की सुरक्षा में तैनात रहने के निर्देश दिए गए हैं।
इस मुद्दे पर आज तक न्यूज चैनल के लाइव डिबेट कार्यक्रम ‘दंगल’ में शो के एंकर रोहित सरदाना ने जब पैनल में शामिल राजनीतिक विश्लेषक सतीश प्रकाश से सवाल जवाब किए तो वह इधर-उधर की बातें करने लगे। इस पर एंकर ने तंज भर लहजे में कहा कि क्या आप निबंध याद कर आएं हैं। वापस मुद्दे पर आएं।
दरअसल डिबेट के दौरान एकंर पूछते हैं कि आपको लगता है कि फैसले पर राजनीतिक बहस होगी। लोग आरोप प्रत्यारोप लगाएंगे तो माहौल बिगड़ेगा? इस पर पैनल में शामिल राजनीतिक विश्लेषक सतीश प्रकाश करते हैं ‘राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी जितना लाभ उठा सकती थी बीजेपी ने उठा लिया। 2014 से 2019 तक बीजेपी ने तमाम मुद्दों का ध्यान जनता से भटकाया। आपने मंदिर और पाकिस्तान पर चर्चा के अलावा किया ही क्या। बीजेपी कहीं न कहीं जो उसकी जिम्मेदारी है उससे बच रही है। जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सभी पक्ष मानने के तैयार हैं तो सरकार जान बुझकर ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान क्या क्राइम बंद हो गया था। सरकार लोगों की आवाज को इसलिए दबा रही है क्योंकि देश का माहौल बड़ा खराब है और अपनी जिम्मेदारी से बच रही है। बेरोजगारी की बात की जाती है तो आप पाकिस्तान भेजने की बात करते हैं।’
सतीश प्रकाश के इतना कहते ही रोहित सरदाना उन्हें बीच में ही टोक देते हैं। वह कहते हैं ‘आपको जब बुलाया गया था तो यही कहकर बुलाया गया था न कि राम मंदिर पर डिबेट होगी? आपने ढाई मिनट तक भाषण दिया और मैं कोशिश करता रहा कि उसमें से कुछ निकालूं लेकिन मुझे समझ ही नहीं आया कि आप क्या कहना चाहते हैं। आप राम मंदिर पर बात ही नहीं कर रहे हैं। मेरा जो सवाल था उसपर आपने अपने राजनीतिक लाभ के लिए मोड़तोड़ कर जवाब दिया लेकिन वह सवाल जस का तस रह गया। जब सरकार नेता और पुलिस कह रही है कि शांति बनाए रखें तो आपको उसपर भी एतराज है। लेकिन आपने तो ठान रखा है कि आपको तो शांति भंग करनी है। आप यह शांति इस्लाम पर न सही तो दलित, रेप या फिर भ्रष्टाचार के नाम पर कर रहे हैं। मुझे लगता है कि आप डिबेट में कोई निबंध याद करके आएं हैं इसलिए मुद्दे पर वापस आएं। देखिए डिबेट में आगे क्या हुआ:-