आज तक पर डिबेट के दौरान एंकर अंजना ओम कश्यप ने कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक से पूछा कि आप रूल बुक को कैसे फेंक सकते हैं वह भी संसद के ऊपरी सदन में जहां हम इस तरह के व्यवहार की अपेक्षा नहीं करते हैं? अगर बीजेपी ने ऐसा किया होता तो क्या आप तब भी यही बात कहतीं? रागिनी नायक कहने लगीं कि जब संसद से कृषि कानून पारित कराये जा रहे थे और माइक्रोफोन ऑफ कर दिया गया था। सरकार के पास बहुमत नहीं था। वॉइस वोट के जरिए कानून पारित कराए गए तब क्यों वेंकैया नायडू की आँखों में आंसू नहीं आये? नायडू जी दलगत राजनीति के चलते आंसू बहा रहे हैं।

मालूम हो कि राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को सदन में हुई घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए बुधवार को रुंधे गले से कहा कि वह रात भर सो नहीं सके क्योंकि लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर की पवित्रता भंग की गई। उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने कल की घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि वह इस वरिष्ठ सदन की गरिमा पर आघात के कारण का पता लगाने के लिए प्रयास करते रहे।

उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘कल जो सदन में हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ। मैं बहुत दुखी हूं।’’


उन्होंने कहा कि आधिकारियों की मेज और उसके आसपास का हिस्सा सदन के पवित्र गर्भ गृह की तरह है। इस मेज पर राज्यसभा के महासचिव, पीठासीन अधिकारी, अधिकारी और संवाददाता काम करते हैं। भरे गले से नायडू ने कहा कि इस स्थान की भी पवित्रता है।

उन्होंने कहा कि मंदिर में जब श्रद्धालु जाते हैं तो उन्हें एक निश्चित स्थान तक जाने की अनुमति होती है, उसके आगे नहीं। उन्होंने कहा कि सदन के बीचों बीच (आसन के समक्ष, मेज तक) आना इसकी पवित्रता को भंग करने जैसा है और पिछले कुछ वर्षों से ऐसा अक्सर हो रहा है।

उन्होंने कहा ‘‘जिस तरह कल सदन की पवित्रता भंग की गई, उससे मैं बेहद दुखी और आहत हूं। कुछ सदस्य सदन की आधिकारिक मेज पर चढ़ गए, कुछ मेज पर बैठ गए…. मेरे पास अपनी पीड़ा जाहिर करने और कल की घटना की निंदा करने के लिए शब्द नहीं हैं।’’