आधार कार्ड बनवाना जरूरी नहीं है। यह लोगों की इच्छा पर है। यहां तक कि अगर किसी ने आधार कार्ड बनवा लिया हो तो भी वह यूआईडी (यूनीक आइडेंटिफिकेशन) सिस्टम से बाहर हो सकता है।
वह अपना कार्ड ब्लॉक कर सकता है। कार्ड में दर्ज डेमोग्राफिक व बायोमीट्रिक जानकारियां भी ब्लॉक की जा सकती हैं। इसके बाद इनका इस्तेमाल कोई नहीं कर सकता। आधार कार्ड से जुड़ी यह जानकारी बुधवार को पहली बार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी है।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह तसल्ली दिलाने की पूरी कोशिश की कि आधार कार्ड रखना या न रखना पूरी तरह से लोगों की इच्छा पर निर्भर है।
चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तू की अगुआई वाली संविधान पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से आधार कार्ड के नेचर के बारे में जानना चाहा था। इसी के जवाब में रोहतगी ने कहा, ‘इस कार्ड को बनवाना और इस्तेमाल करना पूरी तरह लोगों की इच्छा पर निर्भर है।
यही नहीं, कोई भी कार्डधारक इसे ब्लॉक भी कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति बायोमीट्रिक डेटाबेस में दर्ज अपनी जानकारियां ब्लॉक करवाना चाहता है तो वह ऐसा करा सकता है। जब तक कार्ड ब्लॉक रहेगा, तब तक ये जानकारी कोई भी यूज नहीं कर सकेगा।’