पिछले ढाई महीने से चल रहे किसान आंदोलन पर अभी तक न तो सरकार और न ही आंदोलनकारी किसान ही पीछे हटने को तैयार है। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान और उनके नेता लगातार आंदोलन जारी रखने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार तीनों कानून वापस नहीं ले लेती है तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे। दूसरी तरफ सरकार लगातार किसानों से बातचीत करके मुद्दे सुलझाने पर जोर दे रही है।

उधर, टीवी चैैनलों के डिबेट में किसानों और कृषि कानूनों को लेकर पैनलिस्टों में जोरदार आरोप-प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को न्यूज चैनल रिपब्लिक भारत के ‘पूछता है भारत’ कार्यक्रम में एंकर ऐश्वर्य कपूर के साथ डिबेट में राजनीतिक विश्लेषक अजय वर्मा और संजीव उनियाल में जोरदार बहस हुई। अजय वर्मा ने संजीव उनियाल से पूछा कि कृषि कानून में सफेद क्या है?

उन्होंने कहा कि आप लोगों को छोड़कर देश के 68 करोड़ लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं। ये पूरे हिंदुस्तान के हर स्टेट के किसानों का आंदोलन है। आप लोग इसे प्रचारित कर रहे हैं कि यह आंदोलन केवल एक या दो राज्यों का है। हम नहीं चाहते है कि नमक जिस तरह से पचास पैसे प्रति किलो से ब्रांडेड होकर बीस और चालीस रुपए किलो बिक रहा है, उसी तरह से बीजेपी के लोग और यह सरकार 15 रुपए प्रति किलो के गेहूं को अपने कैपटलिस्ट मित्रों को देकर उसे 100 से 150 रुपए किलो बिकवाएं।

इस बीच आंदोलन में प्रमुखता से शामिल हरियाणा के किसान नेताओं को लेकर वहां के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया कि राज्य में किसान खुश हैं।
उन्होंने मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन के नेताओं राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि कुछ “हताश” नेता किसानों का इस्तेमाल अपने हित साधने के लिए कर रहे हैं।