उत्तर प्रदेश के सर्वशक्तिमान यादव कुनबे में मर्दों नेतो हमेशा सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन पहली बार खानदान की एक महिला की मुखर आवाज चर्चा में है। ये हैं अभी तक सियासी तौर पर उपेक्षित रहे मुलायम सिंह के दूसरे पुत्र प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव जो एक तरह से पति के लिए हक की आवाज बनकर उभरी हैं।
अपर्णा यादव ने हाल में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी तो कइयों के माथे पर बल पड़ गए थे। हालांकि परिवार ने इस पर चुप्पी साधे रखी। लेकिन माना जा रहा है कि अपर्णा के हालिया बयान कुनबे के अंदर सत्ता की जंग को जाहिर करने वाले हैं। प्रतीक यादव भी परिवारी यादवी सत्ता में हिस्सेदारी चाहते हैं और अपर्णा इसी आकांक्षा को व्यक्त कर रही हैं। याद रहे, पिछले लोकसभा चुनाव में प्रतीक यादव के समर्थकों ने आजमगढ़ में उनके समर्थन में प्रदर्शन किया था और उन्हें लोकसभा का टिकट देने की मांग की थी। लेकिन सपा मुखिया और प्रतीक के पिता पर इस मांग का कोई असर नहीं पड़ा।
जहां एक तरफ इटावा के इस यादव परिवार से पिता, भाई, चाचा, भतीजे सब नेता हैं, कोई सांसद विधायक है, किसी को मंत्री का दर्जा मिला है तो कोई स्थानीय निकाय में काबिज है, लेकिन प्रतीक यादव को इस हैसियत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अब अपर्णा इस अधिकार के लिए आगे आई हैं और परिवार में अलग पहचान बनकर उभर रही हैं। अपनी सांसद जेठानी डिंपल यादव के विपरीत 25 वर्षीय अपर्णा की बेबाकी पर कोई बंदिश नहीं है। हाल के उनके बयान स्वतंत्र विचार हैं। वे कहती हैं कि हर आदमी के अपने खयाल होने चाहिए। मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं और हकीकत यह है कि आज भी मैंने पार्टी की सदस्यता नहीं ली है।
असल मे इस साल के शुरू में ही प्रतीक यादव और अपर्णा ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के संकेत दे दिए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव और भाजपा के, कमजोर पड़ती सपा पर हमले ने जो माहौल बदला है, उसके इशारे प्रतीक यादव और अपर्णा ने समझ लिए है। साथ ही समाजवादी का एक बड़ा तबका उनके साथ निकल कर आ सकता है। लोकसभा चुनाव में प्रतीक यादव को टिकट देने की मांग भले ही ठंडी पड़ गई , पर विचलित हुए बिना अपर्णा ने चुनाव में प्रचार के लिए अपने गानों की सीडी जाारी की थी। इस सीडी में साजिद और वाजिद का संगीत था। सूत्रों का कहना है कि अपर्णा अपने एक गीत को पार्टी का थीम गान बनवाना चाहती थीं। पर उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई।
बीते अगस्त को अपर्णा ने एक संवाददाता सम्मेलन में साफ तौर पर कहा था कि अपने कारोबारी पति के विपरीत मैं राजनीति में पूरी दिलचस्पी रखती हूं। मैं राजनीति शास्त्र की छात्रा रही हूं और एक राजनीतिक पर्यवेक्षक के रूप में भी काम कर चुकी हंू। सितंबर में महंत अवैद्यनाथ की मृत्यु के बाद अपर्णा गोरखनाथ मंदिर गई थीं और योगी आदित्यनाथ से भी मिली थीं।
काबिले-गौर है कि पिछले माह पहली बार सपा की अहम बैठक में प्रतीक और अपर्णा भी शामिल हुए थे। वे अखिलेश यादव और डिंपल के करीब ही बैठे थे। इस माह जहां अपर्णा ने मोदी की तारीफ कर हलचल मचाई थीं वहीं एक और कयास को जन्म दे दिया जब वे मुलायम सिंह के महाराजसी जन्मदिवस में शिरकत करने के बजाय परदेश तफरीह करने चले गए।
बहरहाल खास बात यह है कि सांसद डिपल यादव ने भी सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अपनी बात रखी और सुझाव दिया कि हमारी सरकार बच्चों के कुपोषण और बालिकाओं के सशक्तीकरण पर ध्यान दे। पहले की तुलना में डिंपल ज्यादा मुखर दिखीं और कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए-विकास की चाभी डिंपल भाभी।
डिंपल इस समय सिटिजन एलांयस नामक संगठन के साथ भी जुड़ी हैं। उनके कहने पर ही अखिलेश यादव ने प्रदेश में पोषण मिशन आयोग की स्थापना की है और इसके लिए पांच करोड़ की इमदाद दी है। डिंपल यादव ने सरकार की 1090 महिला हेल्पलाइन सेवा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया तो अपर्णा ने फौरन कहा कि पुलिस की 100 नंबर सेवा बेहतर है। वरिष्ठ सपा नेता एसपी यादव का कहना है कि डिंपल दिनोंदिन राजनीति में परिपक्व हो रही हैं। वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की इज्जत करती हैं और कार्यकर्ताओं का भी खयाल रखती हैं। कई संवेदनशील मसले उन्होंने गंभीरता से उठाए। उन्होंने कहा कि अपर्णा यादव को वे बस मुलायम परिवार की एक सदस्य के तौर पर जानते हैं।
एक बच्चे की मां अपर्णा ने मेनचेस्टर विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री ली है। वे संगीत की भी जानकार हैं और लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यालय में संगीत की तालीम ली है। वे पूर्व पत्रकार अरविंद सिंह बिष्ट की बेटी हैं जो इस समय सूचना आयुक्त हैं।