वेतन वृद्धि में एरियर की राशि का भुगतान किया जाने और DA और प्रमोशन के मुद्दे को लेकर मध्य प्रदेश के लाखों अधिकारी-कर्मचारी आंदोलन करने सड़कों पर उतर सकते हैं। इसको लेकर मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने 18 सितंबर को प्रदेश स्तरीय मीटिंग बुलाई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मोर्चे में 52 सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी शामिल होंगे और आंदोलन की रणनीति बनाएंगे। इससे पहले कर्मचारियों ने 29 जुलाई को इसका विरोध करते हुए लॉकडाउन किया था, लेकिन बाद में उन्हें आंदोलन स्थगित करना पड़ा था। मोर्चा के प्रवक्ता सुभाष शर्मा ने बताया कि मीटिंग कर्मचारी भवन गीतांजलि चौराहा पर होगी। जिसमें मोर्चा के जिलाध्यक्ष, संयोजक एवं 52 सहयोगी संगठनों के प्रांत अध्यक्ष उपस्थित रहेंगे। उपरोक्त बैठक में आगामी रणनीति के लिए एजेंडे पर चर्चा की जाएगी।

संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया, ” 29 जुलाई को कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश लिया था। इसके अगले दिन अनिश्चितकालीन हड़ताल की जानी थी, लेकिन जनप्रतिनिधि व अफसरों के आश्वासन के बाद वापस ले लिया गया। इसके बाद भी सरकार ने इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की। न ही कोई आदेश जारी किया।”

जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार के इस रवैये से साफ होता है कि वे कर्मचारियों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। इसलिए शनिवार को मीटिंग में चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। मांग पत्र पर विस्तृत विचार, आंदोलन के स्वरूप, तारीख, संयुक्त मोर्चा के विस्तार पर चर्चा आदि विषय एजेंडे में शामिल हैं।

बता दें प्रदेश के कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें महंगाई भत्ता, गृह भत्ता, एरियर भुगतान सहित वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए। इसके अलावा अधिकारी कर्मचारी के प्रमोशन की प्रोसेस जल्द शुरू हो। प्रदेश के अधिकारी कर्मचारी और पेंशनरों को केंद्र के समान 16% महंगाई भत्ते का भुगतान किया जाए। इसके अलावा कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें केंद्र के शासकीय कर्मचारी के अनुसार ही 28 फीसद डीए का भुगतान किया जाए।

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अभी मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को 17 फीसद का भुगतान किया जा रहा है। जिसको लेकर कर्मचारी एक बार फिर हड़ताल पर जा सकते हैं। शिवराज सरकार को घेरने के लिए कई राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी अधिकारी कर्मचारियों को समर्थन दिया जा रहा है। इस मामले में कांग्रेस सबसे आगे है, कांग्रेस लगातार अधिकारी कर्मचारी के वेतन वृद्धि, डीए, एरियर के भुगतान की बात कह रही है।