भारतीय रेलवे को इस साल 15 अगस्त तक 75 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें शुरू करने का काम सौंपा गया है, लेकिन वह अपने लक्ष्य से काफी दूर है। हाल के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई है, लेकिन फिर भी रेलवे 75 के आंकड़े के अपने लक्ष्य से दूर नजर आ रहा है।
यात्रियों को आकर्षित करने के लिए रेलवे कम डिब्बों के साथ ज्यादा से ज्यादा वंदे भारत ट्रेनें शुरू कर रहा है, जबकि कोच की संख्या 16 होनी चाहिए। फिलहाल 8 कोच के साथ वंदे भारत ट्रेनें शुरू की जा रही हैं, जो कि इसकी संख्या में तो इजाफा कर रही हैं, लेकिन इसके मानकों को पूरा नहीं कर रही है।
इसके अलावा, 160 किमी प्रति घंटा स्पीड के बजाय 64 किमी प्रति घंटा गति से ट्रेन का संचालन किए जाने की योजना है। उत्तराखंड के देहरादून से दिल्ली के बीच गुरुवार (25 मई, 2023) से शुरू होने वाली वंदे भारत 64 किमी प्रति घंटे की औसत स्पीड से दौड़ेगी। इस ट्रेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस ट्रेन में 8 कोच हैं। अगले हफ्ते, गुवाहाटी और न्यू जलपाईगुड़ी के बीच एक और आठ-कोच वाली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जाएगी , जो पूर्वोत्तर को वंदे भारत रूट मैप में लाएगी।
पहली वंदे भारत ट्रेन साल 2019 में शुरू की गई थी, 2021 के बाद से टेंडर कंडीशन, उद्योग परामर्शों के साथ-साथ अपने स्वयं के हाउसकीपिंग मुद्दों ने ट्रेनसेट के उत्पादन को रोक दिया। द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम ‘एक्सप्रेस अड्डा’ में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पिछले हफ्ते कहा था कि ट्रेनों के उत्पादन की गति बढ़ेगी। उन्होंने कहा, “जल्द ही हम हर तीन दिन में एक ट्रेन चलाने में सक्षम होंगे।”
18 ट्रेनों में से प्रत्येक की औसत गति से पता चलता है कि असंख्य तकनीकी गति प्रतिबंधों वाली पटरियों में राजधानी और शताब्दी जैसी मौजूदा सुपरफास्ट ट्रेनों के समान वास्तविक गति के लिए सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनसेट होते हैं। उन्हें ज्यादातर 130 किमी प्रति घंटे की मैक्सिमम स्पीड से चलने की अनुमति दी गई है। रेलवे के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, “स्थायी गति प्रतिबंधों (पटरियों पर) को हटाना एक सतत प्रक्रिया है जिसमें डीआरएम और जीएम लगे हुए हैं।”