प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के एक सदस्य को जम्मू-कश्मीर में कठोर जनसुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लेकर बाहर भेजा गया और उस सदस्य की इलाहबाद में एक जेल में मौत हो गई। अधिकारियों ने रविवार (22 दिसंबर, 2019) को यह जानकारी दी। उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा जिले के कुलगाम का निवासी गुलाम मोहम्मद भट पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिये जाने और उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किए जाने के तत्काल बाद पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए सैंकड़ों लोगों में से एक था।

अधिकारियों ने कहा कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के सक्रिय सदस्य भट पर पीएसए लगाया था, जो अगले साल नौ जनवरी को खत्म होना था। उन्होंने कहा कि भट्ट कई बीमारियों से जूझ रहा था और शनिवार शाम चार बजे नैनी केन्द्रीय कारागार में उसने अंतिम सांस ली। उसके शव को विमान से यहां लाया गया और दफनाने के लिए परिवार को सौंप दिया गया। भट के खिलाफ आतंकवाद-रोधी कानून, गैरकानूनी (गतिविधियां) रोकथाम अधिनियम समेत कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दो मामले दर्ज थे। इनमें से एक मामला 2016 का और एक मामला इसी साल का है।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर घटना की निंदा करते हुए लिखा गया कि भट हिरासत में लिए गए पहले ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनकी कश्मीर से बाहर किसी जेल में मौत हुई। “गृह मंत्रालय के हाथ खून में सने हुए हैं और इसके लिए उसे जवाब देना होगा।” महबूबा का ट्विटर अकाउंट उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती देख रही हैं।

पीएसए के तहत हिरासत में लिये गए लगभग 300 राजनीतिक नेताओं को पांच अगस्त के बाद कश्मीर घाटी से बाहर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की जेलों में बंद कर दिया गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर भी पीएसए लगाया गया है, जो लोकसभा के मौजूदा सदस्य हैं। उन्हें उनके घर में रखा गया है। महबूबा मुफ्ती के अलावा एक और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी पांच अगस्त के बाद से एहतियातन हिरासत में रखा गया है।

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