भारतीय पुलिस सेवा के कुछ अधिकारियों द्वारा लिखे गए दस्तावेज पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षकों (आईजीपी) की हाल में संपन्न बैठक में सौंपे गए। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने भी भाग लिया।

दस्तावेजों में कहा गया है कि 5जी नेटवर्क सुगम्य और खुले इंटरनेट प्रोटोकॉल पर आधारित है तथा इसमें पिछली पीढ़ियों की सभी कमजोरियां हैं जो इसे साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील बनाती है। दस्तावेज लिखने वाले भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों ने सुझाव दिया कि सरकार संबंधी संवेदनशील सूचना तथा सैन्य इस्तेमाल के लिए एक आरक्षित 5जी बैंडविथ तथा अत्यधिक सुरक्षित उपकरण बनाना चाहिए तथा केवल स्वीकृति एवं सत्यापित कंपनियों को ही सरकारी एजंसियों के साथ काम करने की अनुमति होनी चाहिए ताकि कम से कम साइबर खतरा हो।

दस्तावेजों में कहा गया है, ‘क्रिप्टो करंसी तथा विकेंद्रीकृत बैंकिंग प्रणाली के वास्तविक समय का 5जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर लोकप्रियता हासिल करने के साथ ही वित्तीय लेनदेन का पता लगाना मुश्किल होगा। 5जी नेटवर्क मादक पदार्थ की तस्करी, मानव और अंगों की तस्करी, धन शोधन, आतंकवाद के वित्त पोषण आदि जैसे अपराधों के लिए संपर्क स्थापित करने में बिचौलियों तथा एजंटों के लिए उत्कृष्ट मंच बन सकता है।’

प्रधानमंत्री के अलावा इस तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा देश के करीब 350 शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल हुए। आइपीएस अधिकारियों का कहा है कि 5जी उपकरण विनिर्माता कीमती डाटा लक्षित विज्ञापन के लिए विक्रेताओं को बेचने की कोशिश करेंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए इस पर नजर रखी जानी चाहिए कि यह गलत हाथों में न पड़े।