Lok Sabha Chunav: 2019 के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन 2024 के लोकसभा चुनावों में ज्यादा बेहतर नहीं रहा, लेकिन उसने 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर के अंतर से पांच सीटें जीती हैं। वहीं 2019 के चुनाव में ये केवल तीन ही थी। गुरुवार को चुनाव आयोग के डेटा से यह जानकारी सामने आई है। 2024 में किसी भी दूसरी पार्टी ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट मार्जिन से कोई भी सीट नहीं जीती है।

भारतीय जनता पार्टी के जिन उम्मीदवारों ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर से सीट जीती है। उनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और शंकर लालवानी और पूर्व सीएम बिप्लब देब का नाम शामिल हैं। त्रिपुरा पश्चिम को छोड़कर इन पांच सीटों में से चार को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है।

सबसे ज्यादा वोट शेयर से जीतने वाला उम्मीदवार कौन?

सबसे ज्यादा वोट शेयर से जीतने वाले प्रत्याशी लालवानी थे। वह इंदौर से बीजेपी के सांसद है। उन्हें करीब 91.32 फीसदी वोट मिले और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को 75 फीसदी वोट शेयर से शिकस्त दी। मध्य प्रदेश की सीट के लिए मुकाबला इसलिए भी सबसे दिलचस्प था क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार ने वोटिंग से कुछ दिन पहले अपना नॉमिनेशन वापस ले लिया और बीजेपी का दामन थाम लिया। इससे लालवानी को बाकी उम्मीदवारों से ज्यादा टफ फाइट नहीं मिली। बीजेपी के अन्य उम्मीदवार करीब 50 से 60 फीसदी वोट शेयर से जीते।

198 सीटों पर अंतर 50 फीसदी से ज्यादा रहा

आजादी के बाद से अब तक हुए सभी लोकसभा इलेक्शन में केवल 198 सीटों पर जीत का अंतर 50 फीसदी से ज्यादा रहा है। सबसे ज्यादा वोट शेयर का अंतर 97.19 फीसदी है। इसे साल 1989 में प्यारे लाल हांडू ने हासिल किया था। वह जम्मू-कश्मीर की अंनतनाग सीट से उम्मीदवार थे। कुल मिलाकर आजादी के बाद से केवल दो ही ऐसी सीटें हैं जो 90 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर के अंतर से जीती गई हैं। छह सीटें 80 फीसदी और 90 फीसदी के बीच; 16 सीटें 70 फीसदी और 80 फीसदी के बीच; 45 सीटें 60 फीसदी और 70 फीसदी के बीच व 129 सीटें 50 फीसदी और 60 फीसदी के बीच जीती गई हैं।

क्या BJP का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष दलित समुदाय से होगा?

राज्यवार क्या है हाल

अब जरा राज्यवार विश्लेषण करें तो पता चलता है कि यूपी में सबसे अधिक 43 सीटें 50 फीसदी से ज्यादा वोट शेयर मार्जिन के साथ जीती गई हैं। महाराष्ट्र में यह संख्या 31 है, जिसमें छह सीटें उस समय की हैं जब इसे बॉम्बे के नाम से जाना जाता था, इसके बाद बिहार में 27 सीटें हैं। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 50 फीसदी से ज्यादा मार्जिन वाली 112 सीटें जीती हैं। आपातकाल के बाद हुए चुनावों में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने वाली जनता पार्टी (जेपी) 49 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर है। 1977 के चुनाव में जेपी ने ऐसी सभी सीटें जीती थीं। इस लिस्ट में बीजेपी तीसरे नंबर पर है, जिसने 11 ऐसी सीटें जीती हैं।

चुनाव मैदान में उम्मीदवारों की संख्या जीत के अंतर के पैमाने में एक अहम फैक्टर है। जो यह तय करती है कि वोट कितने तरीकों से बटेंगे। इनमें से ज्यादातर सीटों यानी 115 में उम्मीदवारों की संख्या पांच या उससे कम थी। पांच से 10 उम्मीदवारों वाली सीटों पर 56 ऐसी जीतें हुईं और 10 से ज्यादा उम्मीदवारों वाली सीटों पर 27 ऐसी जीतें हुईं। चार लोकसभा सीटों पर महाराष्ट्र की कराड, आंध्र प्रदेश की कुरनूल , त्रिपुरा पश्चिम और मेघालय की तुरा में से हर एक में चार बार 50 फीसदी से ज्यादा जीत के अंतर वाले नतीजे देखने को मिले हैं, जो रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा है। उत्तर प्रदेश की अमेठी, महाराष्ट्र की सतारा और गुजरात की सूरत में से हर एक में तीन-तीन ऐसे नतीजे देखने को मिले हैं। इनके अलावा 22 अन्य सीटों में से हर एक में दो-दो ऐसे नतीजे देखने को मिले हैं। दिल्ली में क्या वोटर लिस्ट के साथ हुआ खिलवाड़? पढ़ें पूरी खबर…