दिल्ली दंगों के मामले की जांच में पुलिस को अदालत में लगातार शर्मसार होना पड़ रहा है। पुलिस ने ताबड़तोड़ मामले तो दर्ज कर दिए लेकिन कोर्ट के सवालों पर वो कोई ठोस जवाब नहीं दे पा रही है। कई मामलों में पुलिस को अदालत से लताड़ लगी। ऐसे ही एक मामले में जांच अधिकारी कड़कड़डूमा के एडिशनल सेशन जज के सवालों का जवाब नहीं दे सके। कोर्ट ने पुलिस के स्पेशल कमिश्नर को तलब कर जवाब मांगा है।
जिस मामले में स्पेशल कमिश्नर को पेशी का आदेश कोर्ट ने सुनाया, उसमें आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरन हैद गुलफिशां फातिमा, सैफ-उर्र रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मो. सलीम खान, अतहर खान, शफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान और नताशा नरवाल के नाम शामिल हैं।
चार चार्जशीटें दाखिल क्यों कीं, जज ने पूछा तो आईओ और वकील ने साधी चुप्पी
पुलिस ने FIR 59/2000 में चार चार्जशीटें दाखिल की थीं। इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है। पहली चार्जशीट 16 सितंबर 2020 को दाखिल की गई। उसके बाद पुलिस ने नवंबर 2022, फरवरी 2021 और मार्च 2022 में तीन सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। एडिशन सेशन जज अमिताभ रावत को पुलिस का ये तरीका नागवार गुजरा। उन्होंने सप्लीमेंट्री चार्जशीट और जांच के स्टेटस पर पब्लिक प्रस्यीक्यूटर और जांच अधिकारी से जवाब मांगा तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
एडिशन सेशन जज ने अपने आदेश में कहा कि सप्लीमेंट्री चार्जशीट और जांच के स्टेटस पर पब्लिक प्रस्यीक्यूटर और जांच अधिकारी कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। लिहाजा अब स्पेशल कमिश्नर को तलब किया गया है। वो खुद आकर बताएंगे कि पुलिस ने सप्लीमेंट्री चार्जशीटें क्यों दाखिल कीं। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 9 जून की तारीख तय की है। सभी आरोपियों को जूडिशियल कस्टडी में भेजने का आदेश दिया गया।
ध्यान रहे कि 2020 में नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों को लेकर आप नेता ताहिर हुसैन को पुलिस ने अरेस्ट किया था। उसके बाद की कड़ी में पुलिस ने मामले के और आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस अभी तक मामले की विवेचना कर रही है। अदालत में केसों की सुनवाई लगातार हो रही है।