जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर कई विपक्षी दलों ने विरोध किया था। कश्मीर की पार्टियों ने तो खुलकर इसके खिलाफ बयानबाजी की थी, मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था। अब सर्वोच्च अदालत ही अनुच्छेद 370 की संवैधानिक वैधता पर अपना फैसला सुनाने जा रही है। मोदी सरकार का इसे हटाना सही था या गलत, इसको लेकर सर्वोच्च अदालत अपना निर्णय देने जा रही है।
असल में पांच दिसंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपनी सुनवाई पूरी की है। सुनवाई के दौरान सरकार से लेकर याचिकाकर्ताओं के तर्कों को सुना गया है। अब 11 दिसंबर यानी कि सोमवार को सर्वोच्च अदालत अपना फैसला सुनाने जा रहा है। अगस्त में जब इस मामले में सुनवाई हुई थी, तब याचिकाकर्ताओं ने दो टूक कहा था कि केंद्र ने अपने फायदे के लिए सब कुछ कर दिया, हर नियम की अनदेखी की गई।
एक बड़ा तर्क ये भी दिया गया कि इस फैसले को लेते वक्त राज्यपाल को ही कॉन्फिडेंस में नहीं लिया गया, उन्हें भी इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया गया। लेकिन केंद्र सरकार का तर्क रहा कि सभी नियमों का पालन किया गया। वैसे कोर्ट ने भी इस मामले की सुनवाई के दौरान कई मौकों पर अहम टिप्पणियां की थीं।
अगस्त में एक सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने कहा था कि भारत में जम्मू कश्मीर का विलय परिपूर्ण था और भारत में कश्मीर का विलय बिना किसी शर्त के हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विलय परिपूर्ण था लेकिन यह कहना मुश्किल है कि आर्टिकल 370 को कभी निरस्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आर्टिकल 370 के बाद भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में संप्रभुता (Sovereignty) के कुछ तत्व बरकरार रखता है। जम्मू कश्मीर की संप्रभुता पूरी तरह से भारत को सौंप दी गई थी।