दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लगभग 34 साल पहले पूर्ण स्वदेशी पृथ्वी मिसाइल (Prithvi Missile) के लॉन्च का ऐलान किया था। कांग्रेस नेता ने तब संसद के दोनों सदनों (राज्य सभा और लोक सभा) में इस ऐतिहासिक लॉन्च से जुड़ी खबर को साझा किया था। दुनिया के कई मुल्क इसके बाद हक्के-बक्के रह गए थे, जबकि आज हमारे डिफेंस वैज्ञानिक आवाज से छह गुना रफ्तार वाले हथियार पर काम कर रहे हैं। मामले से जुड़े अफसरों ने एक अंग्रेजी अखबार को इस बारे में बताया कि इस वेपन का नाम माक 6 (Mach 6) है। जानकारी के मुताबिक, माक 6 की स्पीड 7,408 किमी प्रति घंटे तक जा सकती है।
मौजूदा समय में हिंदुस्तान नई और अत्याधुनिक किस्म की तकनीकों की ओर रुख करते हुए नए हथियारों को विकसित करने में लगा है। सितंबर 2020 में डिफेंस रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने पहली बार ओडिशा तट पर एक लॉन्च सुविधा से हाइपरसॉनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्सट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफल टेस्ट किया था। अधिकारियों के अनुसार, भारत लगभग चार वर्षों में हाइपरसॉनिक क्रूज मिसाइल विकसित कर सकता है।
पीएम मोदी ने इस फ्लाइट टेस्ट के दिन कहा था, “आज हाइपरसॉनिक टेस्ट डेमॉन्स्ट्रेशन व्हीकल (Hypersonic Test Demonstration Vehicle) की सफल उड़ान के लिए डीआरडीओ को बधाई। हमारे वैज्ञानिकों की ओर से बनाई गए स्क्रैम जेट इंजन ने उड़ान को आवाज की रफ्तार से छह गुना गति हासिल करने में मदद की। आज बहुत कम देशों में ऐसी क्षमता है।”
वैसे, पृथ्वी के लॉन्च को मील का पत्थर करार देते हुए गांधी ने इस बात पर जोर दिया था कि इस मिसाइल को बनाने में न तो किसी भी प्रकार की विदेशी मदद ली गई और न कोई कोलैबरेशन (सहयोग) लिया गया। राज्य सभा में सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने साफ किया था कि यह पूर्ण रूप से डिफेंस मिसाइल है और शांति प्रिय मुल्क होने के नाते भारत शांति स्थापित करने के लिए आगे काम करता रहेगा।
गांधी के अनुसार, “कई जरूरी टेस्ट लॉन्च के बाद हमने अपनी डिफेंस फोर्सेज में पृथ्वी को शामिल करने का प्लान बनाया है।” दरअसल, यह लॉन्च इंटीग्रेटेड गाइडेग मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का हिस्सा था, जिसकी कल्पना पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल साइंटिस्ट एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी, जबकि जुलाई 1983 में मिसाइलों का बड़ा संग्रह बनाने के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी थी। इनमें पृथ्वी के अलावा अग्नि (Agni Missile) और आकाश (Akash Missile) थी।
हालांकि, पृथ्वी मिसाइल के पहले लॉन्च के बाद के दशकों में भारत ने पारंपरिक और रणनीतिक मिसाइलों की एक सीरीज विकसित की, जो इसे 250 किमी से 5,000 किमी से अधिक की दूरी पर टारगेट हिट करने की क्षमता मुहैया कराती हैं। बता दें कि सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ही कम ऊंचाई पर उड़ने वाली तेज रफ्तार से चलने वाली हाइपरसॉनिक मिसाइलों को उतारने के लिए तकनीक विकसित कर पाए हैं, जिन्हें ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल है।