26 जुलाई को पूरा देश करगिल विजय दिवस मना रहा है। 22 साल पहले भारतीय सेना ने अपने साहस के दम पर युद्ध में जीत दर्ज की थी। इस युद्ध की शुरुआत मई में हुई थी। युद्ध में पिछड़ने के बाद तत्कालिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमेरिका से मदद मांगने के लिए पहुंचे थे। लेकिन उन्हें वहां निराशा हाथ लगी थी।

अमेरिकी राजनयिक रही टेरेसिटा शैफर ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि शरीफ चाहते थे कि अमेरिका उनकी मदद करें। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन ने साफ कह दिया था कि पाकिस्तान को करगिल से पीछे हटना होगा। इसके बाद ही कोई बातचीत होगी। उस समय अमेरिका को इस बात का अंदेशा था कि युद्ध कहीं परमाणु युद्ध में न बदल जाए।

चीन ने भी नहीं की थी खुलकर मदद: अमेरिका की तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद पाकिस्तान ने चीन की तरफ हाथ बढ़ाया था। हालांकि चीन ने भी खुलकर मदद नहीं की थी। चीन ने कहा था कि वो ‘स्वतंत्र विदेश नीति’ का पालन करता है। हालांकि चीन की तरफ से पेट्रोलिंग गतिविधियों को बढ़ा दिया गया था। आंतरिक स्तर पर चीन हमेशा से पाकिस्तान को सहयोग करता रहा है।

करगिल युद्ध में कितने सैनिक शहीद हुए थे?: करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर करगिल में लड़ी गयी इस जंग में देश ने लगभग 527 से ज्यादा वीर सैनिकों को खो दिया था। भारतीय सेना के दावों के अनुसार युद्ध में भारी संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों की भी मौत हुई थी। जबकि लगभग 250 पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ कर भाग गए थे।

प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को करगिल विजय दिवस की 22वी वर्षगांठ पर पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध के शहीदों को याद किया और कहा कि उनकी बहादुरी हर दिन देशवासियों को प्रेरित करती है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हम उनके बलिदानों को याद करते हैं। हम उनकी बहादुरी को याद करते हैं। आज करगिल विजय दिवस के अवसर पर हम उन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए करगिल में अपने आप को न्योछावर कर दिया। उनकी बहादुरी हमें हर दिन प्रेरणा देती है।’’