साल 2012 के गैंगरेप मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ मंगलवार को डेथ वारंट जारी कर दिया है। अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाने का आदेश दिया है। डेथ वारंट जारी होने के बाद ये होगी आगे की प्रक्रिया-

निचली अदालत से मौत की सजा पाए दोषियों के पास सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू और क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने का विकल्प होता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही 2012 गैंगरेप के दोषियों की रिव्यू पिटिशन खारिज कर चुका है। अब यदि सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटिशन भी खारिज हो जाती है और राष्ट्रपति भी दया याचिका खारिज कर देते हैं तो दोषियों को फांसी पर लटकाने का रास्ता साफ हो जाएगा।

कानूनी प्रावधान ये है कि राष्ट्रपति केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय से रिपोर्ट मांगते हैं और गृह मंत्रालय राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब करता है। इस रिपोर्ट के आधार पर ही राष्ट्रपति दया याचिका पर फैसला करते हैं। दया याचिका खारिज होने के बाद कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी होता है। डेथ वारंट जारी होने और फांसी दिए जाने के बीच में 15 दिन का अंतराल होता है।

डेथ वारंट जारी होने के बाद दोषियों को बाकी कैदियों से अलग रखा जाता है और उनकी सेल में कोई सामान नहीं रखा जाता, ताकि वह अपने आप को नुकसान ना पहुंचा लें। दोषियों को फांसी पर चढ़ाने से 24 घंटे पहले उनके परिजनों से मुलाकात करायी जा सकती है।

फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले दोषियों से उनकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है। दोषी फांसी से पहले अपनी संपत्ति, यदि कोई है, तो वह प्रॉपर्टी का मालिकाना हक ट्रांसफर करा सकता है।

फांसी तड़के दी जाती है, ताकि जेल का माहौल सामान्य रहे। फांसी वाले दिन दोषी को फांसी घर ले जाया जाता है, जहां फांसी का फंदा बना होता है। वहां जेल सुपरिटेंडेंट, डॉक्टर, जल्लाद और पुलिसकर्मी मौजूद होते हैं। फांसी चढ़ाए जाने के 2 घंटे बाद डॉक्टर जांच कर दोषी को मृत घोषित कर देता है और इसके बाद मुजरिम के शव को उसके परिजनों को सौंप दिया जाता है।