2012 Delhi Gang Rape and Murder Case: दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार (20 मार्च, 2020) को फांसी दे दी गई। पूरे देश की आत्मा को झकझोर देने वाले इस मामले के चारों दोषियों… मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने यह जानकारी दी।

दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई। भारत में इससे पहले 1993 के मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को जुलाई 2015 में दी गई थी। हालांकि बलात्कार के मामले में आखिरी बार फांसी 2004 में पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी को दी गई थी। कोलकाता में एक 15 वर्षीय स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार और उसकी हत्या के मुजरिम धनंजय चटर्जी को 14 अगस्त 2004 को सुबह साढ़े चार बजे फांसी पर लटका दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और गुरुवार की रात तक इस मामले की सुनवाई चली। सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन फांसी टलती गई। आखिर में आज सुबह चारों दोषियों को फांसी दे दी गई।

2012 Delhi Gang Rape and Murder Case Convicts Hanging Live Updates

चारों के शव करीब 30 मिनट तक फांसी के फंदे से लटके, फिर सुबह 6 बजे डॉक्टर ने शवों की जांच की। अब जेल सुपरिंटेंडेंट द्वारा साइन ब्लैक वारंट के साथ डेथ सर्टिफिकेट वापस कोर्ट जाएगा, की आदेश का पालन हुआ।

इसी बीच सामूहिक बलात्कार की मां ने अपनी बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह फांसी दिए जाने के बाद कहा कि आखिरकार न्याय हुआ और अब महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगी। अपने आवास पर उन्होंने कहा कि न्याय में विलंब हुआ लेकिन उन्हें न्याय मिला।

उन्होंने कहा कि भारत की बेटियों के लिए न्याय की खातिर उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा ‘हम उच्चतम न्यायालय से दिशा निर्देश जारी करने का अनुरोध करेंगे ताकि भविष्य में अपराधी बचाव के लिए किसी तरह की तिकड़म न अपना सकें।’

गैंग रेप पीड़िता की मां ने कहा कि दोषियों को फांसी के बाद अब महिलाएं निश्चित रूप से खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी। न्याय के लिए हमारा इंतजार बेहद पीड़ादायी था। हम अपील करते हैं कि आज का दिन सामूहिक बलात्कार की पीड़िता को ‘न्याय दिवस’ के तौर पर मनाया जाए। (एजेंसी इनपुट)