इनमें सामान्य वर्ग से 14, अन्य पिछड़ा वर्ग से चार और ईडब्लूएस और अनुसूचित जाति वर्ग से एक-एक प्रतिभागी शामिल हैं। एजंसी के मुताबिक, परीक्षा में 100 एनटीए अंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों में अभिनीत मजेटी, अमोघ जालान, अपूर्व समोता, आशिक स्टेनी, बिक्किना अभिनव चौधरी, देशांक प्रताप सिंह, ध्रुव संजय जैन, ज्ञानेश हेमेंद्र शिंदे, दुग्गीनेनी वेंकट युगेश, गुलशन कुमार, गुथिकोंडा अभिराम, कौशल विजयवर्गीय, कृष गुप्ता, मयंक सोन, एन के विश्वजीत, निपुन गोयल, ऋषि कालरा, सोहम दास, सुथार हर्षुल संजय भाई और वविलाला चिदविलास रेड्डी शामिल हैं।
एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 50 प्रतिभागियों का परिणाम रोक दिया गया है, क्योंकि वे जांच के दायरे में हैं।इनके मामलों को अलग से एक समिति के समक्ष रखा जा रहा है। समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के बाद उनके परिणाम घोषित किए जाएंगे। एनटीए अंक परिणाम के फीसद के समान नहीं है, बल्कि सामान्यीकृत अंक है।
यूजीसी स्नातक स्तर के लिए पर्यावरण पाठ्यक्रम की रूपरेखा जारी करेगा
नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बुधवार को स्रातक स्तर के लिए पर्यावरण शिक्षा के पाठ्यक्रम की रूपरेखा जारी करने जा रहा है। इस दौरान इस पाठ्यक्रम से संबंधित दिशानिर्देशों का मसविदा भी जारी किया जाएगा। यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने बताया कि आयोग ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप पर्यावरण शिक्षा के लिए दिशानिर्देश और पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की है।
यह दस्तावेज विभिन्न पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों को पर्यावरण शिक्षा देने के उद्देश्य से बनाया गया है और हमें उम्मीद है कि इससे विद्यार्थियों में संवेदनशीलता बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले 2003 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार यूजीसी ने स्रातक स्तर पर पर्यावरण अध्ययन का पाठ्यक्रम तैयार किया था। इसके अलावा 2017 में भी आठ इकाई का माड्यूल पाठ्यक्रम तैयार किया गया था।
कुमार ने बताया कि शिक्षा नीति पर्यावरण शिक्षा को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाने, इसके संरक्षण और सतत विकास के प्रति पर्यावरण जागरूकता और संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करने के महत्त्व को रेखांकित करती है। एनईपी सभी उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआइ) के लिए नए पाठ्यक्रमों के माध्यम से समग्र और बहु-विषयक शिक्षा देने की वकालत करती है।
प्रदूषण की निरंतर समस्या, वनों का नुकसान, ठोस अपशिष्ट निपटान, पर्यावरण का क्षरण, आर्थिक उत्पादकता और राष्ट्रीय सुरक्षा, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत की कमी और जैव विविधता के नुकसान जैसे मुद्दों ने सभी को पर्यावरणीय मुद्दों से अवगत कराया है।इसलिए पर्यावरण शिक्षा में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता, जैविक विविधता का संरक्षण, जैविक संसाधनों और जैव विविधता का प्रबंधन, वन और वन्य जीवन संरक्षण, और सतत विकास जैसे क्षेत्रों को शामिल करने की आवश्यकता है।