मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के आरोपियों में से एक याकूब अब्दुल रजाक मेमन को फांसी देने की तैयारी महाराष्ट्र सरकार ने कर ली है। मेमन को 30 जुलाई की सुबह सात बजे नागपुर केंद्रीय कारागृह में फांसी देना लगभग तय हो गया है। फांसी की तारीख और समय को मुख्यमंत्री की मान्यता मिल चुकी है। टाडा अदालत से मंजूरी लेने के बाद फांसी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नागपुर जेल प्रशासन के साथ-साथ याकूब के परिवार को भी फांसी की तारीख की सूचना जारी की गई है।

हालांकि फांसी की तारीख और स्थान में बदलाव की संभावना भी है क्योंकि सरकार की निगाहें सुप्रीम कोर्ट में लंबित याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन पर लगी है, जिसकी सुनवाई इसी महीने की 21 तारीख को होनी है। सूत्र बताते हैं कि इस सुनवाई के बाद सूबे की सरकार ने 30 जुलाई की सुबह सात बजे याकूब को नागपुर के केंद्रीय कारागृह में फांसी देना तय किया है और इसके लिए जरूरी प्रक्रिया सरकार ने पूरी कर ली है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए तैयार है और सबसे बड़ी अदालत के निर्देशों के मुताबिक काम करेगी।

याकूब को विशेष टाडा अदालत ने 2007 में फांसी की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ याकूब की अपील हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है। पिछले साल अप्रैल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी याकूब की दया याचिका खारिज कर चुके हैं। नौ अप्रैल को याकूब की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने टाडा कोर्ट की इजाजत लेकर याकूब को फांसी देने की जरूरी प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया था। मगर याकूब ने अंतिम कोशिश करते हुए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है, जिस पर 21 जुलाई को सुनवाई होनी है।

12 मार्च 1993 को मुंबई के पांच सितारा होटलों, सरकारी प्रतिष्ठानों, सहार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और भीड़ भरी जगहों पर एक के बाद एक 12 बम विस्फोट किए गए और हथगोले फेंके गए। इनमें 257 लोग मारे गए थे, 700 के करीब लोग घायल हुए थे और बड़े पैमाने पर सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ था। इसके पीछे गिरोह सरगना दाऊद इब्राहीम का हाथ होना सामने आया। सिलसिलेवार बम विस्फोटों के तुरंत बाद साजिश का मुख्य सूत्रधार टाइगर मेनन और उसका परिवार देश से फरार हो गया था।

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1994 में टाइगर मेमन का छोटा भाई याकूब मेमन परिवार के साथ भारत लौटा। विशेष टाडा अदालत में उस पर मामला चलाया गया। याकूब पर बम विस्फोट की दुबई में रची गई साजिश में दाऊद इब्राहीम, टाइगर मेमन आदि के साथ शामिल होने, साजिश अंजाम देने के लिए पैसों का इंतजाम करने, बम विस्फोट में शामिल लोगों को पाकिस्तान भिजवाने, उन्हें प्रशिक्षण दिलवाने और बम विस्फोट में इस्तेमाल किए गए वाहनों का इंतजाम करने का आरोप था। अभियोजन बम विस्फोट में अन्य आरोपियों समेत याकूब की भूमिका साबित करने में कामयाब हुआ और टाडा अदालत ने 2007 में याकूब को फांसी की सजा सुनाई।

याकूब के अलावा पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण लेने, आरडीएक्स रखने और हथगोले फेंकने के आरोप में शाहनवाज कुरैशी, मोहम्मद इकबाल मोहम्मद शेख, मोहम्मद फारुख पावले, जाकिर हुसैन, अब्दुल अख्तर खान, फिरोज अमानी मलिक को टाडा अदालत ने जुलाई 2007 में फांसी की सजा सुनाई। इनके अलावा शोएब घनसर, असगर मुकादम, अब्दुल गनी तुर्क, परवेज शेख, मुस्ताक तरानी को भी फांसी की सजा मिली थी।

एचआइवी पीड़ित होने के कारण इम्तियाज घावटे को आजन्म कारावास की सजा मिली थी। आरडीएक्स रखनेवालों में घावटे इकलौता ऐसा आरोपी था जिसे फांसी की सजा नहीं मिली थी।

याकूब ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में टाडा कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की मगर उसकी याचिकाएं खारिज हो गर्इं। पिछले साल अप्रैल में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने दया याचिका भी खारिज कर राज्य सरकार को याकूब की फांसी की तारीख तय करने का अधिकार दे दिया। इसके बाद याकूब ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की मगर वह भी खारिज हो गई। फिलहाल याकूब की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिस पर 21 जुलाई को सुनवाई होनी है।

महाराष्ट्र सरकार ने इस याचिका पर आनेवाले फैसले का इंतजार न करते हुए याकूब को फांसी देने की जरूरी प्रक्रिया पूरी कर ली है। याकूब के परिवार को नियमों के मुताबिक फांसी से 15 दिन पहले इसकी जानकारी दे दी है। याकूब के स्वास्थ्य का नियमित परीक्षण किया जा रहा है और वह शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट बताया जा रहा है। राज्य सरकार ने याकूब को फांसी देने की तारीख और समय की जानकारी केंद्रीय कारागृह नागपुर के जेल अधीक्षक को भेज दी है। अधीक्षक ने जानकारी मिलने की बात भी स्वीकार कर ली है।