1984 Anti Sikh Riots Case: 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस एस.एन.ढींगरा समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के साथ दिल्ली पुलिस को दंगाइयों के खिलाफ ऐक्शन लेने में खासा रुचि न लेने के लिए तत्कालीन Congress सरकार को फटकार लगाई है। उपद्रवी तब हत्या, आगजनी और हिंसा आदि में शामिल थे।

दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली तब की सरकार को लेकर पैनल की रिपोर्ट में कहा गया, “भारी संख्या में दंगा पीड़ितों के उस दंगे और उसके कुछ सालों बाद विभिन्न एजेंसियों के पास पहुंचने के बाद भी हत्या, दंगा, लूट-पाट, आगजनी के अपराध में लोगों की सजा नहीं दी गई और न ही उन पर नकेल कसी गई। इन लोगों को सजा न मिल पाने के पीछे बुनियादी वजह यही रही कि इन मामलों को देखने-संभालने वाली पुलिस और सरकार ने इन बाबत कोई खास रुचि नहीं दिखाई।”

जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट में बताया गया है कि तब सुल्तानपुरी इलाके में दंगा, हत्या, आगजनी और लूटपाट आदि की लगभग 498 घटनाएं हुई थीं, जिन्हें एक ही एफआईआर में दर्ज किया गया था। हैरत की बात है कि इतनी सारी आपराधिक घटनाओं के खिलाफ महज एक प्राथमिकी के बाद मामले की जांच भी सिर्फ एक ही अधिकारी के जिम्मे थी। ऐसे में समझा जा सकता है कि एक जांच अधिकारी के लिए सभी आरोपियों का पता लगाना, उनकी शिनाख्त करना, चश्मदीदों के बयान रिकॉर्ड कराना और चार्जशीट फाइल कराना बेहद मुश्किल काम है।

एसआईटी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दंगों के वक्त सिख यात्रियों को दिल्ली में रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों से बाहर निकालकर मारा गया, पर पुलिस ने किसी को भी मौके से यह कहते हुए नहीं बचाया कि उनकी संख्या बेहद कम थी। ये घटनाएं एक और दो नवंबर 1984 को दिल्ली के पांच रेलवे स्टेशनों- नांगलोई, किशनगंज, दयाबस्ती, शाहदरा और तुगलकाबाद में हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, “इन सभी पांच मामलों में पुलिस को दंगाइयों द्वारा ट्रेन को रोके जाने तथा सिख यात्रियों को निशाना बनाए जाने के बारे में सूचना दी गई। सिख यात्रियों को ट्रेन से बाहर निकालकर पीटा गया और जला दिया गया। शव प्लेटफॉर्म और रेलवे लाइन पर बिखरे पड़े थे।”

आगे बताया गया, “पुलिस ने किसी भी दंगाई को मौके से गिरफ्तार नहीं किया। किसी को गिरफ्तार नहीं करने के पीछे जो कारण दर्शाया गया वह यह था कि पुलिसर्किमयों की संख्या बेहद कम थी और दंगाई पुलिस को देखकर भाग खड़े हुए।’’ पैनल ने यह भी कहा है कि ऐसा लगता है कि पुलिस और प्रशासन का ‘सारा प्रयास’ दंगों से संबंधित आपराधिक मामलों को दबाने का था। रिपोर्ट के अनुसार चुनिन्दा व्यक्तियों को पाक साफ करार देने के लिये मामले दर्ज किए गए थे।

SC से बोला केंद्र- मानीं SIT की सिफारिशें, लेंगे ऐक्शनः केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने 1984 के सिख विरोधी दंगों के 186 मामलों की जांच करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं और वह कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करेगी। (PTI-Bhasha इनपुट्स के साथ)