17 साल पहले टेरेरिस्ट एक्ट में अरेस्ट किए गए एक शख्स को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। हाईकोर्ट का कहना था कि जिस अपराध के लिए आरोपी को दोषी माना गया, प्रासीक्यूशन 17 साल में भी उसे साबित नहीं कर सका। फिर उसे जेल में क्यों रखा जाए?
आठ मई 2006 को महाराष्ट्र ATS एक टाटा सूमो को जबरन रोकती है। ये मनमाड से औरंगाबाद के गुरुशनेश्वर मंदिर की तरफ जा रही होती है। सूमो में से दो लोगों मो. आमिर और सैय्यद आकिफ को पकड़ा जाता है। ATS उनसे पूछताछ करती है और फिर सीन में एंट्री होती है एक युवक अफरोज खान की। सूमो से पकड़े गए दोनों युवक बताते हैं कि उनके पास से जो हथियार मिले दरअसल अफरोज खान उनका सूत्रधार था।
अफरोज खान को अरेस्ट करके ATS दमदार केस तैयार करती है। उसके ऊपर सबसे बड़ा आरोप होता है कि उसने बांग्लादेश जाकर फंड का जुगाड़ किया और फिर हथियारों का जखीरा जुटाया, जो टाटा सूमो से मिला था। नांदेड़ और 2002, 2003 के मराठवाड़ा बम ब्लास्ट के बाद ATS काफी चौकन्नी थी। लिहाजा वो हर मुमकिन जगह पर रेड करके हथियारों की बरामदगी कर रही थी। इसी कड़ी में अफरोज खान उनके हत्थे चढ़ गया।
2016 में आतंकी मानकर दी गई थी उम्र कैद
उसके ऊपर UAPA के सेक्शन 16, 23, आर्म्स एक्ट, एक्सप्लोसिव एक्ट के साथ मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के तहत कार्रवाई की गई। 2016 में उसे स्पेशल कोर्ट ने आतंकी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुना दी। अफरोज ने सजा को रद करने की अपील हाईकोर्ट में दायर की। लेकिन उस पर आज तक कोई सुनवाई ही नहीं हो सकी। हां, उसकी बेल एप्लीकेशन पर हाईकोर्ट ने गौर जरूर किया।
ATS का कहना था अफरोज ने बांग्लादेश जाकर फंड जुटाया
जस्टिस रेवती मोहिते और जस्टिस गौरी गोडसे की बेंच ने केस के तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद ATS से पूछा कि अफरोज खान बांग्लादेश गया था इसका उनके खिलाफ क्या सबूत है। एजेंसी बगले झांकने लगी। एजेंसी के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं था जिससे ये साबित हो सके कि अफरोज कभी बांग्लादेश गया भी था। अफसरों का कहना था कि सूमो से मिले दो युवकों ने बताया था कि अफरोज ही हथियारों का फंड पड़ोसी मुल्क से लाया था।
17 साल में एजेंसी नहीं बता सकी कि अफरोज पड़ोसी मुल्क कब और कैसे गया
हाईकोर्ट ने हैरत जताई कि अफरोज को इतने साल तक जेल में क्यों रखा गया। उसे उम्र कैद की सजा क्यों सुनाई गई जब उस पर लगा आरोप कहीं से भी साबित नहीं हो सका। उधर जेल में रहने के दौरान अफरोज ने IGNOU से बीए किया। मास्टर डिग्री भी की। छह माह का योग कैंप करने के बाद वो तलोजा जेल के अस्पताल में सेवा दे रहा है। यही नहीं वो जेल प्रशासन के साथ मिलकर साथी कैदियों की काउंसलिंग भी करता है।