देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को 21 दिनों तक लॉकडाउन करने का ऐलान किया है। जिसके बाद लोग अपने-अपने घरों में खाने पीने की चीज़ें स्टॉक करने लगे हैं। लॉकडाउन के चलते कई जगहों पर दुकानें नहीं खुल रही हैं और जो दुकानें खुल रही हैं उनमें भीड़ देखने को मिल रही है। ऐसे में लोग ऑनलाइन समान मंगा रहे हैं। लेकिन कर्फ़्यू के चलते पुलिस कई जगह ऑनलाइन डिलीवर करने वालों को भी रोक रही है। ऐसे में घर-घर राशन, दवाइयां और खाने पीने की अन्य चीज़ें पहुंचाने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जब वे समान डिलीवर करने जाते हैं तो पुलिस उन्हें बे वजह मारती है और परेशान करती है। जिसके चलते उन्हें कई बार डिलीवर का समान फेकना पड़ता है। जिसके चलते उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।
ई-कॉमर्स कंपनियों ने इस मामले में सरकार से मदद की गुहार लगाई है और हस्तक्षेप की मांग की है। रिटेलर्स का कहना है कि इस तरह रोके जाने और पुलिस प्रशासन द्वारा परेशान किए जाने से खाने-पीने की ताजा चीजों को फेंकना पड़ा और कई चीजों की बर्बादी हुई है।
बिग बास्केट, फ्रेस मैन्यू और पोरटी मेडिकल जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रमोटर के. गणेश का कहना है कि सरकार के लॉकडाउन का फैसला बिलकुल सही है। लेकिन सरकार ने आवश्यक सेवाओं में लगे हुए लोगों को छूट दी है। हमारा काम आवश्यक सेवाओं में आता है। हम लोगों को खाने पीने का सामान,दवाई जैसी चीजों की डिलीवरी करते हैं। लेकिन शायद सरकार का यह निर्देश पुलिस अधिकारियों या प्रशासन तक नहीं पहुंचा है।
गणेश ने कहा कि पुलिस हमारे साथ बहुत बुरा व्यवहार करती है। कई बार वह डिलीवरी करने वालों को मारती भी है। हमारे एक हेल्थ वर्कर को गिरफ्तार भी किया गया है। गणेश के मुताबिक हालत ठीक नहीं हैं और इसके बावजूद वे लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों तक आवश्यक चीज़ें पहुंचा रहे हैं। ऐसे में उनकी पिटाई ना करें।
उन्होने आगे कहा कि अगर लोग डरकर सेवा करने से भाग जाएंगे तो हम काम कैसे करेंगे? जो लोग जरूरी सामान की डिलीवरी कर रहे हैं या सामान पहुंचा रहे हैं उनके साथ मारपीट नहीं की जानी चाहिए। एक और ई-कॉमर्स कंपनी ऑनलाइन ग्रॉसरी रिटेलर ग्रोफर्स और फ्रेश टू होम ने कहा कि पुलिस के इस व्यवहार का सामना उन्हें भी करना पड़ा है।
उन्होने बताया कि पुलिस आम लोगों में और डिलीवरी करने वालों में फर्क नहीं समझ पा रही है। पुलिस के इस व्यवहार के चलते खाने-पीने के सामान की बर्बादी होती है। मिल्क बास्केट ने बताया कि उन्हें मजबूरन 15,000 लीटर दूध फेंकना पड़ा है और 10,000 किलो की सब्जी भी बर्बाद हुई हैं। उन्होंने बताया कि वे गुड़गांव, नोएडा, हैदराबाद में दूध की डिलीवरी नहीं कर सकते।

