राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) की अपनी सूची बनाने का अधिकार प्रदान करने वाले एक महत्वपूर्ण संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई। आरक्षण की पचास प्रतिशत सीमा को समाप्त करने की विभिन्न दलों की मांग के बीच सरकार ने उच्च सदन में माना कि 30 साल पुरानी आरक्षण संबंधी सीमा के बारे में विचार किया जाना चाहिए। हालांकि इस दौरान सदन में विपक्ष ने राज्यसभा में फिर हंगामा किया। वेल में जाकर पर्चे उछाले, शोरगुल किया। सदन में जोरदार हंगामे के बाद विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया। इस बीच राज्यसभा बुधवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा इससे पहले ही स्थगित कर दी गई थी। इसके साथ ही संसद के मानसून सत्र का समापन हो गया।

राज्यसभा में बुधवार को करीब छह घंटे की चर्चा के बाद ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ को शून्य के मुकाबले 187 मतों से पारित कर दिया गया। सदन में इस विधेयक पर विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गये संशोधनों को खारिज कर दिया गया। यह विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पारित हो चुका है। इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार के सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध होने की बात कही और यह भी कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा 30 साल पहले लगाई गई थी और इस पर विचार होना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने जाति आधारित जनगणना की सदस्यों की मांग पर कहा कि 2011 की जनगणना में संबंधित सर्वेक्षण कराया गया था, लेकिन वह अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) पर केंद्रित नहीं था। उन्होंने कहा कि उस जनगणना के आंकड़े जटिलताओं से भरे थे।

मंत्री ने कहा कि सदन में इस संविधान संशोधन के पक्ष में सभी दलों के सांसदों से मिला समर्थन स्वागत योग्य है। कहा कि पूरे सदन ने इसका एकमत से स्वागत किया। कहा कि मोदी सरकार सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में सरकार ने जिस तरह से कदम उठाए हैं, उससे हमारी प्रतिबद्धता झलकती है। उन्होंने विधेयक लाए जाने की पृष्ठभूमि और महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले का भी जिक्र किया तथा कहा कि उसके बाद ही यह विधेयक लाने का फैसला किया गया।

उन्होंने कहा कि मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में ओबीसी आरक्षण के फैसले से समुदाय के छात्रों में उत्साह का माहौल है और उन्होंने एक दिन पहले ही छात्रों के एक समूह से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि छात्रों के मन में विश्वास था कि मोदी सरकार ने अगर कोई निर्णय लिया है तो उसे पूरा किया जाएगा।

मेडिकल ही नहीं बल्कि फेलोशिप, विदेशों में पढ़ाई के लिए सुविधाएं मुहैया कराए जाने पर जोर देते हुए वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस विधेयक से ओबीसी के लोगों को काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार महान समाज सुधारकों पेरियार, ज्योतिबा फुले, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, दीनदयाल उपाध्याय आदि द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करेगी।

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को हटाए जाने, निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि जब तक 50 प्रतिशत की सीमा है, तब तक ओबीसी को पूरी तरह न्याय नहीं मिल पाएगा।

इसी बीच हंगामा कर रहे सदस्यों में से किसी ने कागज के टुकड़े कर हवा में फेंक दिये। हंगामे के बीच ही विधेयक को पारित कराया गया। विधेयक पारित होने के तत्काल बाद कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

इससे पहले, सुबह 11 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकेया नायडू ने मंगलवार की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि कल जो कुछ सदन में हुआ, उसकी निंदा करने के लिए उनके पास शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है और इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए।

उधर, कांग्रेस के के. सुरेश ने बाद में मीडिया से कहा, “गुरुवार को संसद में विपक्षी नेता एकत्र होंगे। वे विजय चौक जाएंगे और लोगों को बताएंगे कि यह सरकार इस देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। राहुल गांधी भी शामिल होंगे। उन्होंने सत्र में कटौती की है और पूरे मुद्दे को छोड़ दिया है।”