भारत और फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान का सौदा शुक्रवार को हो गया। भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर और फ्रांसीसी रक्षामंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान ने 7.8 बिलियन यूरो (करीब 59 हजार करोड़ रुपये) के इस सौदे पर हस्ताक्षर किए। लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि इस डील के बाद भी भारतीय वायुसेना की क्षमता चीन के बराबर नहीं होगी। गौर करने वाली बात यह भी है कि चीन की तुलना में भारत की सैन्य क्षमता अक्सर कम ही रही है। लेकिन हौसलों में भारतीय फौजी चीनी सैनिकों से कई गुना आगे हैं। यह बात 1962 के भारत-चीन की लड़ाई में देखने को मिली।
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अक्टूबर 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। इस लड़ाई में लद्दाख के रेजांग ला पोस्ट की लड़ाई सबसे अहम थी। यह लड़ाई भारत के 120 और चीनी सेना के करीब 2000 सैनिकों के बीच लड़ी गई। चीनी सैनिकों की तादाद ज्यादा होने के साथ ही उनके पास बेहतर हथियार और बाकी उपकरण थे। लेकिन भारत के जवानों के पास तो ठंड से बचने के लिए कपड़े तक नहीं थे। यह पोस्ट समुद्र तल से 16 हजार मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यहां माइनस में तापमान रहता है। लद्दाख पर चीन ने 20 अक्टूबर को पहला हमला किया था। इसके बाद रेजांगला पोस्ट पर मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाउं के 120 सैनिकों की एक कंपनी को 24 अक्टूबर को यहां तैनात किया गया।
भारतीय सेना की इस कंपनी के सैनिकों के पास केवल .303 राइफल, 600 राउंड गोलियां, 6 एलएमजी, 2 इंच मोर्टार थे। वहीं चीनी सैनिकों के पास 7.62 एमएम सेल्फ लोडिंग राइफल, चीन के पास 120 मशीन गन, 81 एमएम, 60 एमएम मोर्टार, 132 एमएम रॉकेट, 75 एम एम और 57 एमएम की रिकॉयललेस बंदूकें थीं। ये बंदूकें ऐसी थीं जो कि बंकरों को भी ध्वस्त कर सकती थीं। लेकिन भारतीय सैनिकों के पास हौसला था, जिससे उन्होंने चीनी सैनिकों को पानी पिला दिया।
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चीनी सेना ने भारत की इस पोस्ट पर पहले तड़के हमला किया। जिसका सामना करते हुए भारतीय सैनिकों ने कई चीनी सैनिकों को मौत की घाट उतार दिया था। आखिर में भारतीय सैनिकों के पास चार-पांच राउंड गोलियां ही बची थीं। लेकिन भारत के जवान आखिरी सांस तक लड़ते रहे। जब भारतीय सैनिकों के हथियार खत्म हो गए तो उन्होंने चीनी सैनिकों को अपनी बंदूकों की बट से मारना शुरू कर दिया। इसके बाद कई भारतीय सैनिकों ने तो चीनी सैनिकों का सिर आपस में भिड़ाकर मारना शुरू कर दिया था। भारतीय सेना के 14 जवान बचे थे, जिनमें से 9 जवान गंभीर रूप से घायल थे। लेकिन उस वक्त चीनी सेना पीछे हट गई और उसके बाद भारतीय पोस्ट पर बमबारी करना शुरू कर दिया। लेकिन तब तक चीनी सेना के 1300 जवानों को भारतीय सैनिक ढेर कर चुके थे। बता दें, उसके तीन दिन बाद चीन ने युद्ध विराम की एकतरफा घोषणा कर दी थी। चीन ने खुद भी स्वीकार किया था कि उन्हें इस युद्ध में सबसे ज्यादा नुकसान रेजांग ला पोस्ट पर हुआ था।
संसाधनों की कमी आज भी
भारतीय सेना आज भी अत्याधुनिक हथियार और अन्य उपकरणों की कमी से जूझ रही है। भारतीय सेना के पास बेसिक उपकरणों तक की कमी है। सेना के पास इंफेंट्री के लिए अच्छी राइफल और बुलैट प्रूफ जैकेट तक नहीं हैं। इसके साथ ही गोला बारूद की भी कमी है। आर्टिलरी के लिए बंदूकों की खरीददारी में देरी हो रही है। इसके साथ ही कॉम्बैट हेलीकॉप्टर्स की भी कमी है। स्पेशल फोर्स के पास नाइट विजन डिवाइस की तरह कई उपकरण नहीं हैं।
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वहीं अगर एयरफोर्स की बात की जाए तो भारतीय वायुसेना के पास 35 स्क्वाड्रन हैं। वायुसेना की योजना है कि यह संख्या 2026 तक 42 हो जाए। लेकिन साल 2017 में मिग-21 और मिग-27 के 11 स्क्वाड्रन वायुसेना के बेड़े से बाहर हो जाएंगे। वहीं 6 जगुआर और 3 मिग 29 स्क्वाड्रन अभी अपग्रेड होना बाकी है।
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