दुनियाभर में मंकीपॉक्स का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। केवल दो हफ्तों में ही 12 देशों में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या 100 पहुंच चुकी है। आगे भी मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। हालांकि, इस बीमारी से अब तक एक भी मौत नहीं हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वायरस को लेकर सभी देशों को आगाह किया है।

21 मई 2022 तक डब्ल्यूएचओ में 92 मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि हुई है और 28 संदिग्ध मामलों की जांच चल रही है। मंकीपॉक्स के मामले ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका से सामने आए हैं। वहीं, बेल्जियम सभी कंफर्म मामलों के लिए 21 दिन का मंकीपॉक्स क्वारंटाइन पीरियड अनिवार्य करने वाला पहला देश बन गया है।

क्या है मंकीपॉक्स: मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है जो चेचक की तरह है। मंकीपॉक्स ज्यादातर जानवरों से इंसानों में फैलती है। यह एक वायरल इन्फेक्शन है, जो पहली बार 1958 में कैद किए गए बंदर में पाया गया था। 1970 में पहली बार इंसान में मंकीपॉक्स के संक्रमण के पुष्टि हुई थी।

मंकीपॉक्स के लक्षण: इसके शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी, थकान शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर मवाद भरे दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं और कुछ दिन बाद सूखकर गिर जाते हैं। WHO के अनुसार, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं।

मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों या संक्रमित मनुष्यों के शरीर से निकले फ्लूइड (छींक, लार) के संपर्क में आने से फैल सकता है। इस वायरस के फैलने की अनुमानित दर 3.3 से 30 प्रतिशत है। आमतौर पर मंकीपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस किसी सतह, बिस्तर, कपड़े या सांस के जरिए अंदर जा सकता है। त्वचा से त्वचा के संपर्क से भी यह वायरस फैलता है।

मंकीपॉक्स का इलाज: इस वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों को अक्सर चेचक टीकों की कुछ खुराक दी जाती है। इसके अलावा, साइंटिस्ट एंटीवायरल दवाएं बनाने में भी लगे हुए हैं। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ने मंकीपॉक्स के सभी मरीजों को अलग रखने और स्मालपॉक्स के टीके लगाने की सलाह दी है।

क्या है भारत की तैयारी: मंकीपॉक्स को लेकर केंद्र सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को अलर्ट जारी किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट करें और सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) को भेजें।