उत्तर प्रदेश में चुनाव को देखते हुए सियासी हलचल तेज हो गई है। बीजेपी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार कर रहे हैं। हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के द्वारा जिन्ना को लेकर दिए गए बयान पर योगी ने कहा था, ‘उन्हें पहले इतिहास पढ़ लेना चाहिए।’ दूसरी तरफ, अखिलेश ने बीजेपी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था। एक अन्य इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ से मुख्यमंत्री बनने को लेकर भी सवाल किया गया था।
योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछा था, ‘आप फकीर हैं तो आप पहाड़ों में जाकर तपस्या क्यों नहीं कर रहे हैं? फकीर को क्या चाहिए, जातीय नफरत चाहिए? फकीर को चाहिए कि अपनी बुलंदी पर पहुंचना और अपने ताल्लुकात जोड़ना। आप जो द्वेष फैला रहे हो और राजनीति गंदी कर रहे हो। इस देश का बेड़ागर्क करने पर तुलोगे तो हम बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।’ इस सवाल को सुनने के बाद योगी आदित्यनाथ मुस्कुराने लगे थे।
उन्होंने जवाब दिया था, ‘इन्हें भारत के संन्यास का मतलब ही नहीं पता है। बुद्ध ज्ञान प्राप्त होने के बाद अपने 46 वर्ष लोक-कल्याण के लिए समर्पित करते हैं। इस देश के अंदर ऋषि परंपरा राष्ट्रीयता के लिए समर्पित रही है। हम भी भारत की राष्ट्रीयता के लिए राजनीति को एक मंच बनाकर लगातार अपना कार्य कर रहे हैं। जहां पर भी भारत की राष्ट्रीयता का गला दबाने का कार्य हो रहा है, उन गला दबाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हम लोग राजनीति को एक मंच के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें जाति, पंथ और मजहब का कोई सवाल नहीं होता है।’
आप ईद क्यों नहीं मनाते? योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ‘मेरी आस्था मेरे साथ है। मैं जबरन पाखंड क्यों करूं? जहां मेरी आस्था होगी मैं वही तो करूंगा। मैं उन लोगों में नहीं हूं जो चोरी-छिपे टीका लगाते हों, चोटी रखते हों और फिर सम्मेलन में जाकर गोल टोपी लगाकर लोगों को घुमाने का काम करते हों। मैं टीका लगाऊंगा तो सिर्फ टीका ही लगाऊंगा। रक्षा सूत्र बांधूंगा तो रक्षा सूत्र ही बांधूंगा। मेरी राजनीति साफ है कि अगर मैं गोल टोपी नहीं लगाऊंगा तो नहीं लगाऊंगा। मुझे जो करना है, वही करूंगा।’