बाल झड़ने की समस्या से निजात पाने के आपने कई तरीके आजमाए होंगे लेकिन बालों का झड़ना शायद ही कम हुआ हो। आयुर्वेद की माने तो बालों का झड़ना बेहद आसान और असरदार तरीके से कम किया जा सकता है। इसके लिए पेल्विक अंगों को डेटोक्सीफी करने की जरूरत है। योग एक्सपर्ट जूही कपूर बताती है कि शरीर से हानिकारक चीज़े निकलने के लिए योग मुद्राएं बेहद फायदेमंद हैं। अगर मुद्राओं का नियमित रूप से अभ्यास किया जाये तो यह काफ़ी कारगर साबित होता है।

कौन-सी मुद्राएं है बालों के लिए फायदेमंद

* पृथ्वी मुद्रा

* अपान मुद्रा

योग और आयुर्वेद के हिसाब से हमारा शरीर पांच तत्वों से मिल कर बना है और हर उंगली एक तत्व का प्रतीक है। अंगुष्ठा अग्नि, तर्जनी वायु, मध्यमा आकाश, अनामिका पृथ्वी और कनिष्ठा अंगुली जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। 

पृथ्वी मुद्रा: तरीका और फायदे

इस मुद्रा से न केवल बालों का झड़ना कम होता बल्कि गुणवत्ता और मजबूती में भी सुधार आता है। पृथ्वी मुद्रा करने के लिए अपनी अनामिका की सिरे से अंगूठे के सिरे को छुए। अच्छा रिजल्ट पाने के लिए रोजाना 20-30 मिनट तक किसका अभ्यास करें। मुद्राएं हमेशा बैठ कर ही करें और धीरे-धीरे गहरी सांस लेते और छोड़ते रहें। इसके मुद्रा के कई फायदे भी है जैसे-

* बालों के झड़ने को कम करने

* शरीर से गर्मी को कम करने

* ब्लड सरकुलेशन को तेज करना

* शरीर की ऊर्जा को बढ़ना 

* सहनशक्ति को बढ़ाना 

* आंतरिक अंगों और ऊतकों को मजबूत करना

अपान मुद्रा: तरीका और फायदे  

जूही बताती है कि यह शक्ति मुद्रा है जो अपान प्राण को सक्रिय करती है। इसे करने से ऊर्जा की गति नाभि से नीचे की ओर बढ़ती है और शरीर से टॉक्सिक चीज़ों को बाहर निकालती है, जिसे बालों को भी फायदा होता है। इस मुद्रा को करने के लिए मध्यमा, अनामिका और अंगूठे को एक साथ सिरे से मिलते है। यह मुद्रा करते वक़्त आप ध्यान मुद्रा में बैठें या शवासन, सुप्तबाधा कोणासन में लेट भी सकते है। खास बात यह है कि इस मुद्रा को रोजाना खाली पेट 15-20 मिनट या भोजन के दो घंटे बाद अभ्यास करने से बेहतर रिजल्ट मिलता है।

अपान मुद्रा को करने के कई फायदे है जैसे कि-

* हार्मोनल संतुलित करना

* यूरिन ट्रैक को सही से खाली करने में मदद करना और बीमारियों से बचाना

* तनाव से राहत 

* बेहतर श्वसन

* कब्ज से राहत

* पीरियड्स को रेगुलर और फ़्लो को सही करता है

आखिर मुद्राओं को कब नहीं करनी चाहिए:

1. जूही कूपर बताती है कि गर्भवती महिलाओं को शुरुआती आठ महीनों में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे परेशानी आ सकती है। लेकिन नौवें महीने के दौरान इसका अभ्यास करने से प्रसव में मदद मिलती है। 

2. जो लोगों दस्त, पेचिश, हैजा और कोलाइटिस से पीड़ित है उन्हें भी मुद्राओं के अभ्यास से बचना चाहिए।

3. साथ ही, खाना खाने के तुरंत बाद इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।