योग की लोकप्रियता पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ गई है। कई लोगों ने पहली बार योग करना शुरू किया है। हमारे परिचय का हर दूसरा व्यक्ति योग का अभ्यास कर रहा है। ऐसे में कई लोगों को लगने लगता है कि योग करना काफी आसान है। हालांकि, बता दें कि नए लोगों के लिए कई बार योग का अभ्यास करना काफी मुश्किल हो जाता है और वे इसकी निरंतरता नहीं बना पाते हैं। आइए जानते हैं योगासनों को करने के तरीके के बारे में भी-

1. अर्ध चन्द्रासन-
इसे करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएं। दोनों हाथ कमर से सटे होने चाहिए और अपनी गर्दन सीधी रखें। फिर धीरे धीरे दोनों पैरों को एक दूसरे से करीब एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी पर रखें। ध्यान रहे कि इस आसन का अभ्यास करते वक्त आपका मेरुदंड सीधा रहे। इसके उपरांत दाएं हाथ को उपर उठाएं और कंधे के समानांतर लाएं। आपकी हथेली का रुख आसमान की ओर होना चाहिए। इसे करते समय ध्यान रहे कि आपका बायां हाथ आपकी कमर पर ही रहे। अब बाई ओर झुके, इस दौरान आपका बायां हाथ स्वयं ही नीचे खिसकता जायेगा। याद रहे कि बाएं हाथ की हथेली को बाएं पैर से अलग न हटने पाए। इसी स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहे, फिर धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आएं।

2. भुजंग आसन-
सबसे पहले अपने पेट के बल से लेट जाएं और अपनी हथेलियों को अपने कंधे की सीध में ले कर आएं। इस दौरान अपने दोनों पांवों के बीच की दूरी को कम करें साथ ही पांव को सीधा तथा तना हुआ रखें। अब सांस भरते हुए बॉडी के अगले हिस्से को नाभि तक उठाएं। अपनी क्षमता अनुसार अपनी इस अवस्था को बना कर रखें। योग का अभ्यास करते समय धीमे धीमे सांस भरें और फिर छोड़ें।

3. मार्जर आसन-
अपने घुटनों और हाथों के बल आएं और शरीर को एक मेज कई तरह बना लें। अपनी पीठ से मेज का ऊपरी हिस्सा बनाएं और हाथ और पैर से मेज के चारों पैर बनाएं। अपने हाथ कन्धों के ठीक नीचे, हथेलियां जमीन से चिपकी हुई रखें और घुटनों में पुट्ठों जितना अंतर रखें. गर्दन सीधी नजरें सामने रखें।

4. नटराज आसन-
सबसे पहले आराम की मुद्रा में खड़े हो जाएं। शरीर का भार बाएं पैर पर स्थापित करें और दाएं घुटने को धीरे धीरे मोड़ें और पैर को जमीन से ऊपर उठाएं। दाएं पैर को मोड़कर अपने पीछे ले जाएं। दाएं हाथ से दाएं टखने को पकड़ें और बाएं बांह को कंधे की ऊँचाई में उठाएं। सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को ज़मीन पर दबाएं और आगे की ओर झुकें। दाएं पैर को शरीर से दूर ले जाएं तथा सिर और गर्दन को मेरूदंड की सीध में रखें, इस मुद्रा में 15 से 30 सेकेण्ड तक बने रहें।

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