Benefits of Nadi Shodhan pranayama: नाड़ी शोधन प्राणायाम के मुख्य प्रकारों में से एक है। नाड़ी शोधन प्राणायाम शरीर की अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाने वाला प्राणयाम है। अन्य प्राणायाम की तरह इस प्राणायाम में भी सांस लिया और छोड़ा जाता है। नाड़ी शोधन प्राणयाम से खून तो साफ़ होता ही है साथ ही खून में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है। इस प्राणायाम के और भी कई स्वास्थ्य लाभ हैं और इस वजह से आपको इसका अभ्यास रोजाना कम से कम 30 मिनट करना चाहिए। आइए जानते हैं नाड़ी शोधन प्राणयाम कैसे किया जाता है तथा इससे शरीर को क्या-क्या लाभ होते हैं।

नाड़ी शोधन प्राणयाम करने का तरीका:

1. सबसे पहले पालथी मार कर बैठें। दायें पैर को बाएं पैर के ऊपर और बाएं पैर को दायें पैर के ऊपर रखें। अपने दोनों हाथ अपने जांघों पर रखें और रिलैक्स हो जाएं और अपनी आंखें बंद करें। यह प्राणायाम करने के लिए किसी साफ सुथरे कमरे का चुनाव करें।

2. अपने दायें हाथ को अपने चेहरे की तरफ लायें और अपने दायें हाथ के अंगूठे से दायीं नाक को बंद करें।

3. दायीं नाक बंद करने के बाद अपनी बायीं नाक से धीरे-धीरे एक गहरी सांस लें। जब फेफड़े हवा से भर जाए तब उतने समय के लिए सांसें रोके जितने समय में आपने सांस ली थी। धीरे धीरे सांसों को छोड़ें। सांस छोड़ने में भी उतना समय लगायें जितना आपने सांस लेने में लिया था। पूरी तरह से सांस छोड़ने के बाद दायीं नाक से अंगूठा हटायें और दोनों हाथों को अपने जांघ पर वापस रख लें।

4. अपने बाएं हाथ को अपने चेहरे की तरफ लायें और अपने बाएं हाथ के अंगूठे से बायीं नाक को बंद करें।

5. अपने दायीं नाक से धीरे-धीरे एक गहरी सांस लें। जब फेफड़े हवा से भर जाए तो अपनी सांस रोके। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़े। सांस छोड़ने में भी उतना समय लगायें जितना आपने सांस लेने में लिया था।

नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे:

1. नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से खून साफ होता है तथा श्वशन तंत्र मजबूत बनता है।
2. इस प्राणायाम को करने से खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है।
3. इस प्राणायाम को करने से फेफड़े और शरीर के कई अन्य अंग मजबूत होते हैं।
4. नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से सिरदर्द, माइग्रेन, बेचैनी और तनाव की समस्या दूर होती है।
5. नियमित रूप से नाड़ीशोधन प्राणायाम करने से एकाग्रता बढ़ती है।

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