(World Blood Donor Day 2023) 14 जून को रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए रक्त दान करना जरूरी है। डब्ल्यूएचओ ने इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। साल 2004 में इस दिन की स्थापना लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने के लिए की गई थी। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों में रक्त दान करने के लिए जागरूकता पैदा करना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है लेकिन उसकी उपलब्ध सिर्फ 75 लाख यूनिट है। 25 लाख यूनिट ब्लड की कमी से हर साल सैंकड़ों लोग जान देते हैं। ब्लड डोनेशन करके ना सिर्फ आप दूसरों की जान बचा सकते हैं बल्कि अपनी हेल्थ को भी सुधार सकते हैं। आइए जानते हैं कि कोई भी व्यक्ति कितना ब्लड डोनेट कर सकता है और उससे डोनर को कौन-कौन से हेल्थ बेनेफिट हो सकते हैं।

ब्लड डोनेट करने के फायदे:

ब्लड डोनेट करने से ब्लड पतला होता है जिससे दिल की सेहत में सुधार होता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ब्लड डोनेट करने से कैंसर और दूसरी बीमारियों का जोखिम कम होता है। ब्लड डोनेट करने से बॉडी से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं। इससे डोनर का बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है।

नए रेड सेल्स बनने से बॉडी हेल्दी रहती है। ब्लड डोनेट करना पूरी तरह सुरक्षित है। डोनर जितना ब्लड डोनेट करता है उसे बॉडी 21 दिनों में फिर से बना लेती है। हालांकि 24 से 72 घंटे में ब्लड का वॉल्यूम पूरा बन जाता है।

कौन कर सकता है ब्लड डोनेट:

एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 65 साल के बीच है वो रक्त दान कर सकता है। डोनर का ह्यूमोग्लोबिन 12.5 प्रतिशत से ज्यादा होना चाहिए और कम से कम 45 किलोग्राम उसका वजन होना चाहिए।

कोई व्यक्ति कितना खून डोनेट कर सकता है:

ब्लड डोनेट करने की मात्रा और तरीके अलग-अलग हो सकते है। ब्लड डोनेशन पूरे खून का 300 मिलीलीटर होता है। इसे मैनुअली या ऑटोमेटिक इक्विपमेंट की मदद से संग्रहित किया जा सकता है जो कि केवल खून के विशिष्ट भाग को लेता है।

ब्लड कितने दिन में डोनेट कर सकते हैं:

शरीर 24 घंटों में डोनेट किए गए ब्लड की पूर्ती कर लेता है। ब्लड डोनेट करने के 35 से 40 दिनों के बाद खून नए सिरे से बनने लगता है। अगर आप दोबारा ब्लड डोनेट करना चाहते हैं तो 30-40 दिनों के बाद कर सकते हैं।