UTI Symptoms: यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन एक प्रकार का संक्रमण है जो यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से जैसे कि किडनी, यूरेटर्स, ब्लैडर और यूरेथ्रा में हो सकते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा ज्यादा होता है। ब्लैडर में संक्रमण काफी कष्टकारी हो सकता है, वही गंभीर स्थिति में ये बीमारी किडनी तक फैल सकती है।
इस स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त लोगों में पेल्विक पेन, पेशाब करते वक्त दर्द, बार-बार पशाब लगना, यूरिन में जलन, ब्लीडिंग और बदबू की दिक्कत हो सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक मर्दों की तुलना में औरतों में यूरेथ्रा छोटी होती है, इस वजह से उनमें यूटीआई का खतरा अधिक होता है। सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने हाल में ही अपने इंस्टाग्राम हैंडल से यू सीरीज के तहत यूटीआई के बारे में खुलकर बताया है। आइए जानते हैं विस्तार से –
यूटीआई के बेसिक्स: जब यूरिनरी ट्रैक्ट में यूरेथ्रा के जरिये बैक्टीरिया प्रवेश करता है और किडनी व ब्लैडर में मल्टीप्लाई करता है तो यूटीआई की परेशानी हो सकती है।
इन्हें होता है अधिक खतरा: रुजुता बताती हैं कि यूरेथ्रा छोटी होने के कारण महिलाओं में रिस्क बढ़ जाता है। वहीं, सेक्शुअली एक्टिव महिलाओं को भी ये परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, जो महिलाएं गर्भ निरोधक का इस्तेमाल करती हैं, यूटीआई से ग्रस्त हो सकती हैं। साथ ही, मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन का उत्पादन रुक जाता है, इससे यूरिनरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है।
प्रेग्नेंसी में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान होने वाली आम परेशानियों में से एक है यूटीआई। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में असंख्य हार्मोनल बदलाव आते हैं जिससे करीब 90 फीसदी महिलाओं को यूरेटेरिक डायलेशन होता है। इस वजह से यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
किन बातों का रखें ध्यान: रुजुता बताती हैं कि कुछ बातों का ध्यान रखकर इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है। सबसे जरूरी है हाइड्रेटेड रहना, पानी पीयें, नारियल पानी, नीरा, राइस कांजी, कुलिथ और शरबत पीयें। ये पेय यूरिन को डाइल्यूट करता है जिससे इंफेक्शन होने से पहले ही बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट के बाहर निकल जाते हैं।
यूरिनेशन के बाद अपने जेनिटल एरिया को साफ करें, पैरों के तलवों पर घी, नारियल तेल या काश्याची वटी लगाने से फायदा होगा। साथ ही, रीस्टोरेटिव योगासन जैसे कि सुप्तबाधकोण आसन करने से भी ये परेशानी कम होगी।

