Who Is Your True Friend: सोशल मीडिया के दौर में लोग कहने के लिए तो सैकड़ों दोस्त बना ले रहे हैं, लेकिन वह भावनात्मक रूप से किसी के भी साथ नहीं जुड़े होते हैं। वास्तविक जीवन में दोस्ती का मतलब होता है दोस्ती। इसमें किसी तरह का कोई दिखावा नहीं होता है। यह एकदम तटस्थ रहता है। हालांकि, सोशल मीडिया के दौर में दोस्ती की परिभाषा हल्की बदल गई है। अब दोस्ती लाइक्स, कमेंट और शेयर वाली हो गई है।
सुख-दुख का साथी होता है मित्र
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि एक अच्छी किताब सौ अच्छे दोस्तों के बराबर होती है, लेकिन एक अच्छा दोस्त पूरे पुस्तकालय के बराबर होता है। मित्र को लेकर कहा गया है कि वह मित्र सच्चा होता है, जो जीवन में किसी भी सुख-दुख, उतार-चढ़ाव और हर परिस्थिति में आपका साथ देता है। सच्चा मित्र अच्छे समय में साथ तो रहता ही है, लेकिन बूरे वक्त पर भी आपके साथ खड़ा मिलता है।
जीवन भर साथ रहते हैं बचपन के दोस्तः सद्गुरु
स्कूली जीवन से लेकर कॉलेज तक कई जगहों पर नए-नए लोग मिलते हैं। इसमें से कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो जीवन के लिए खास हो जाते हैं। सद्गुरु के मुताबिक, बचपन में बनाए गए दोस्त पूरे जीवन साथ रहते हैं। अगर उनसे बात भी नहीं होती है, तो वह हमारे दोस्त रहते हैं।
अपने दोस्त के बारे में क्या बोले सद्गुरु?
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अपने दोस्त के बारे में कहते हैं कि मैंने स्कूल में दाखिले के बाद पहला दोस्त बनाया था, उस समय मेरी उम्र करीब तीन से चार साल की रही होगी। मेरे दोस्त के साथ मेरा लगाव इस तरह था कि वह मेरे लिए किसी भी चीज से बढ़कर था। उनके मुताबिक, मित्रता कोई लाभदायक सौदा या फिर कोई लेनदेन नहीं होता है। बल्कि, मित्रता वह होता है जो जीवन भर साथ चलता रहता है।