सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बगावती तेवर के बाद राजस्थान (Rajasthan) की सियासी जंग दिलचस्प होती जा रही है। पायलट खेमे ने एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें कई विधायक बैठे दिखाई दे रहे हैं। इसका मकसद साफ है, कि वे झुकने को तैयार नहीं हैं। ‘मरुस्थल’ के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के बहाने सोशल मीडिया पर सचिन के पिता राजेश पायलट का भी जिक्र किया जा रहा है।

बगावती तेवर वाले राजेश्वर प्रसाद बिधूड़ी की राजेश पायलट बनने की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर रहे राजेश पायलट ने साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी भाग लिया था। लेकिन कुछ वक्त बाद उन्हें महसूस हुआ कि समाज में बदलाव ऐसे नहीं आने वाला है और राजनीति में उतरना जरूरी है। इसके बाद वे एयरफोर्स छोड़ सियासत के मैदान में उतर गए।

सीधे इंदिरा गांधी से मांग लिया टिकट: वायुसेना छोड़ने के बाद राजेश पायलट (Rajesh Pilot) सीधे इंदिरा गांधी से मिलने जा पहुंचे और बागपत से टिकट मांग लिया। उस वक्त बागपत सीट से तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह सांसद थे। ये उनका मजबूत किला था। चरण सिंह को इतना भरोसा था कि वे अपने बेटे अजीत सिंह से कहते थे कि अगर वे बागपत के लोगों को गाली भी दें, तो भी वोट उन्हें ही मिलेगा।

ऐसे में इस सीट से टिकट मांगने की बात इंदिरा गांधी को मजाक लगी। उन्होंने राजेश पायलट को सुझाव दिया कि वह एयरफोर्स की नौकरी न छोड़ें, लेकिन राजेश पायलट मन बना चुके थे। उन्होंने कहा कि मैं तो बस आपका आशीर्वाद लेने आया हूं। हालांकि इंदिरा ने उस वक्त टिकट पर कोई हामी नहीं भरी।

जब संजय गांधी का फोन आया: राजेश पायलट बागपत से चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन उम्मीदवारों की सूची जारी हुई तो उसमें उनका नाम नहीं था। इसी बीच एक दिन इंदिरा गांधी चुनाव प्रचार के लिए हैदराबाद जा रहे थीं। राजेश पायलट अपनी पत्नी रमा के साथ उन्हें एयरपोर्ट छोड़ने के लिए पहुंच गए। बस यहीं से इनकी सियासी किस्मत पलट गई। कुछ दिन बाद राजेश पायलट को फोन आया कि उन्हें संजय गांधी ने मिलने को बुलाया है। जब वे संजय से मिलने पहुंचे तो बताया गया कि इंदिरा गांधी उन्हें राजस्थान की भरतपुर सीट से चुनाव लड़ाना चाहती हैं।

लोगों ने पहचानने से कर दिया इंकार: ‘राजेश पायलट: अ बायोग्राफी’ में उनकी पत्नी रमा पायलट लिखती हैं, राजेश जब भरतपुर पर्चा दाखिल करने के लिए पहुंचे तो लोगों ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया और कहा कि यहां तो किसी पायलट को भेजा गया है। इसकी वजह भी थी, क्योंकि वहां जो शख्स पहुंचा था उसका नाम तो राजेश्वर प्रसाद था। इसके बाद संजय गांधी ने राजेश्वर को सुझाव दिया कि वे फौरन कचहरी जाकर अपना नाम बदलवाने की प्रक्रिया पूरी करें और राजेश पायलट नाम रखें। इस तरह राजेश्वर प्रसाद, राजेश पायलट बन गए।

फाइव स्टार से शुरू किया, फिर 25 रुपये के कमरे में मनाया हनीमून: राजेश पायलट की साल 1974 में रमा से शादी हुई थी। दोनों हनीमून मनाने नैनीताल गए। रमा पायलट ने ‘बीबीसी’ से बातचीत में हनीमून का एक दिलचस्प किस्सा बयां किया। बकौल रमा उनके पास उस वक्त कुल 5000 रुपये ही थे। पहले तो 2 दिन वे फाइव स्टार होटल में रहे।

इसके बाद 2 दिन 3 स्टार होटल में बिताया और हनीमून खत्म होते-होते ऐसी नौबत आई की रात 25 रुपये किराए के कमरे में बितानी पड़ी। आपको बता दें कि राजेश पायलट की 55 साल की उम्र में साल 2000 में जयपुर में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद बेटे सचिन पायलट (Sachin Pilot) उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।