आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की सियासी यात्रा बेहद दिलचस्प रही है। उन्होंने छात्र नेता से बिहार के सीएम और केंद्रीय मंत्री तक का सफर यूं ही तय नहीं किया। लालू की गिनती उन गिने-चुने खांटी नेताओं में होती है, जो जनता की नब्ज को भली-भांति पहचानते हैं। लालू जब बिहार के मुख्यमंत्री तब सूबे में तमाम तरह की उठा-पटक थी। खासकर निचली जातियों के साथ मारपीट जैसी घटनाएं आम थीं। लालू इससे अच्छे से परिचित थे।

अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना’ में लालू यादव (Lalu Yadav) एक किस्से का जिक्र करते हुए लिखते हैं कि एक रात मैं पुलिस अफसरों के साथ पटना के पश्चिमी छोर पर स्थित बेहटा मनेर रोड के एक ईंट भट्ठे पर पहुंच गया। चूंकि मैंने जमीन पर लंबे वक्त तक काम किया था, इसलिए मुझे पता था कि किस तरीके से सामंती तत्व ईंट बनाने की आड़ में गरीब महिलाओं का शोषण करते हैं। मैंने भट्ठे से थोड़ी दूरी पर ही सड़क के किनारे गाड़ियां पार्क करा दीं और भट्ठे की तरफ पैदल चल पड़ा। मेरे साथ करीब 10 बंदूकधारी पुलिस के जवान थे।

महिला को पकड़े थे 6 लोग: लालू लिखते हैं कि जैसे ही मैं भट्ठे के करीब पहुंचा तो देखा कि 6 लोग एक महिला को पकड़े हुए हैं। सब शराब के नशे में धुत थे। मैंने टॉर्च जलाई तो देखा कि महिला के गले में फूलों की माला पड़ी है और पुरुष उसे जबरदस्ती झोपड़ी की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। अचानक मुझे देखकर वे सकते में आ गए और घबरा गए। उस वक्त मैंने गोल टोपी पहनी थी और मेरे हाथ में लाठी थी।

तुरंत करवा दिया गिरफ्तार: बकौल लालू, मैंने तुरंत पुलिस के जवानों से कहा कि उन 6 लोगों को पकड़कर पुलिस की जीप में बैठाएं। इसके बाद मैं उस महिला के पास गया जो बेहद डरी थी। उसे जीप में बैठाया और अपने सरकारी आवास पर ले आया। वो महिला एक जनजाति से ताल्लुक रखती थी और भट्ठे पर काम कर किसी तरह अपना गुजर-बसर करती थी। मैंने तुरंत पटना के डीएम को बुलवाया और उन्हें आदेश दिया कि उस महिला को कलेक्टर कार्यालय में नौकरी पर रख लें। कुछ हैरानी जताने के बाद डीएम ने उसे नौकरी दे दी। बाद में मैंने उन छह अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया।

ईंट भट्ठा मालिकों ने खोल दिया था मोर्चा: लालू यादव लिखते हैं कि इस घटना के बाद बिहार के ईंट भट्ठा मालिकों ने मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री को अपराधियों को पकड़ने के लिए सड़क पर नहीं घूमना चाहिए और खाप पंचायत के मुखिया की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए। हर दिन इसी तरह के बेतुके तर्क सुनने को मिलते लेकिन इससे मेरा हौंसला और बढ़ा। हर रात मैं मध्य बिहार के देहात के इलाकों की तरफ निकल जाता था।