साल था 2008। तब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी और मायावती मुख्यमंत्री थीं। इसी दौरान किसानों के उत्पीड़न के खिलाफ बिजनौर में एक सभा आयोजित की गई। इस सभा में किसानों के मसीहा कहे जाने वाली चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत भी पहुंचे। अपने संबोधन के दौरान टिकैत ने कथित तौर पर मायावती पर जातिसूचक टिप्पणी कर दी। यह मामला गरमा गया और मायावती टिकैत से बेहद नाराज हो गईं। उन्होंने पुलिस प्रशासन के आला अफसरों से दो टूक कह दिया कि टिकैत की गिरफ्तारी होनी चाहिए। चूंकि मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा था इसलिए अफसरों के सामने कोई और रास्ता नहीं था।

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महेंद्र सिंह टिकैत के खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने उनकी गिरफ्तारी की तैयारी शुरू कर दी। इसकी खबर जब किसानों को लगी तो वे टिकैत के समर्थन में लामबंद हो गए। देखते ही देखते हजारों की तादाद में किसान ट्रैक्टर, बुग्गी, ट्रॉली के साथ सिंह टिकैत के गांव सिसौली पहुंच गए और वहां आने वाले सभी रास्तों को ब्लॉक कर दिया। किसानों का गुस्सा देखकर प्रशासन के पसीने छूट गए।

विशेष विमान से भेजे अधिकारी: उधर, राज्य सरकार भी झुकने को तैयार नहीं थी और हर हाल में टिकैत की गिरफ्तारी चाहती थी। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य गृह सचिव जीएन चंबर खुद इस मामले की निगरानी कर रहे थे। वे चाहते थे कि टिकैत की गिरफ्तारी शांतिपूर्ण तरीके से हो जाए। आनन-फानन में विशेष विमान से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का एक दल टिकैत से बात करने के लिए भेजा गया। उधर, अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती कर दी गई और टिकैत के घर को चारों तरफ से घेर लिया गया। इससे किसान और नाराज हो गए। बल प्रयोग और पथराव भी हुआ।

अधिकारियों पर बिफर पड़ी थीं मायावती: मायावती टिकैत की टिप्पणी से काफी आहत थीं। बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब कई दिन बाद भी टिकैत की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वह अधिकारियों पर बिफर पड़ी थीं और उनकी खूब खिंचाई की थी। इधर महेंद्र सिंह टिकैत की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ रहा था, उधर किसान भी अड़े थे। टिकैत ने साफ कर दिया था कि वे जीते जी अपनी गिरफ्तारी नहीं देंगे।

‘गिरफ्तारी की सूरत बने तो मार देना गोली’: महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अपने एक इंटरव्यू में उस घटना को याद करते हुए बताया था कि बाबा ने कहा था कि अगर गिरफ्तारी की सूरत बने तो मुझे गोली मार देना। दुर्व्यवहार से अच्छा मेरा मर जाना ही है। राकेश टिकैत कहते हैं, हमने भी पुलिस और प्रशासन से साफ-साफ कह दिया था कि बाबा कहीं नहीं जाएंगे। आपको बता दें कि बाद में महेंद्र टिकैत ने बिजनौर न्यायालय में सरेंडर किया था और उसी दिन उन्हें जमानत भी मिल गई थी।