मीना
वसंत हो या वैलेंटाइन डे, बहार और पतझड़ के बीच में झूलते माह-ए-फरवरी को मोहब्बत के नाम मुकर्रर कर दिया गया है। महीना मोहब्बत वाला है तो फैज की नज्मों से लेकर अरीजीत सिंह की आवाज फिजा में फैली हुई है। पहला, पहला प्यार है से लेकर मुझसे पहले सी मोहब्बत मेरे महबूब ना मांग तक की गुजारिश है। सोशल मीडिया गुलाब से लेकर किस और टैडी डे तक से सराबोर है। फरवरी शुरू होते ही जो लोग ‘इश्कियाए’ लोगों से खफा हो रहे थे, शोशेबाजी करार दे रहे थे, महीने के मध्य में आते ही दो होठों के संगम पर शरण लेने लगे और कहने लगे कि इन बसंत वीरों को पछाड़ नहीं सकते तो इनके कारवां में शामिल हो जाओ।
कैफी आजमी ने कभी लिखा था, ‘तू अपने दिल की जवां धड़कनों को गिन के बता/मिरी तरह तिरा दिल बे-करार है कि नहीं’। प्यार में बेकरारी, तड़प, इंतजार, सम्मान और भी बहुत कुछ होता है। खैर प्यार को समझना बहुत आसान नहीं है। इस बार हमने लड़कियों से इसी प्यार पर बात की। प्यार ये तो शब्द ही अपने आप में पूरी दुनिया समेटे हुए है। इसकी परिभाषा शब्दों में बयां नहीं हो सकती क्योंकि ये पूरी तरह हमारे अंदर पल रहे अहसासों से जुड़ा हुआ है। ये कहना है दिल्ली की रहने वाली निशा त्यागी का। प्यार में साथ रहना नहीं साथ देना प्यार होता। प्यार बड़ा खूबसूरत होता है जब होता है तब पूरी दुनिया एकतरफ लेकिन हमारा प्यार एक तरफ होता है। क्योंकि प्यार में कोई खोट नहीं होता कोई सौदा नहीं होता। ये तो एकतरफा बस किया जाता है।
प्यार किसी भी उम्र में किसी भी रिश्ते में और किसी भी इंसान से हो सकता है। ये अपार है जिसे कभी बांधा नहीं जा सकता किसी भी रूप में। तो बात यहां आ जाती है कि जब प्यार दोबारा हो सकता है और हो भी जाता है तो कई बार क्यों लोग सिर्फ एक को ही याद करते रह जाते हैं या अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ एक के पीछे खराब कर देते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं प्यार भी उसी से होता है। प्यार का दूसरा पर्यायवाची है विश्वास, इसलिए प्यार की शुरुआत सिर्फ विश्वास और अहसास से होती है।
जॉन एलिया ने लिखा था, तेरे बगैर मुझे चैन कैसे पड़ता है/मेरे बगैर तुझे नींद कैसे आती है। कुछ इसी तरह के विचार ज्योति ने रखे। ज्योति तोमर का कहना है कि प्यार वो है जब आपके लिए आपसे ज्यादा आपके पार्टनर की खुशी मायने रखती है। बनारस की शालिनी कहती हैं कि प्यार को शब्दों में नहीं बताया जा सकता क्योंकि इसका कोई निश्चित दायरा नहीं, कोई सीमा नहीं। इसमें जो भाव, अहसास उत्पन्न होते हैं उसे तो परिभाषित कर सकते हैं शब्दो में पिरो सकते हैं पर बस प्यार क्या है उसे बता पाना मुश्किल है। उसे बस महसूस कर सकते हैं। पर हां…क्या है से आसान प्यार है या नहीं उसे समझना है।
प्यार की परिभाषा सबके लिए अलग-अलग हो सकती है। मेरे लिए प्यार शब्दों में बयान कर पाने जैसी भावना नहीं, इसे बस महसूस किया जा सकता है। ये कहना है ग्रेटर नोएडा में रहने वाली नंदना का। वे कहती हैं कि मां-बच्चे का प्यार, भाई-बहन का प्यार, प्रेमी युगल का प्यार, दोस्तों के बीच प्यार इनके अलावा भी कई तरह के प्यार हैं जिनके लिए किसी रिश्ते के नाम की जरूरत नहीं। सबके प्यार के अलग मायने हैं और हर मायना उतना ही व्यापक है। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली अल्का कहती हैं कि प्यार वह है जिसमें एक-दूसरे का सम्मान हो, बिना सम्मान और बराबरी के प्यार आगे नहीं बढ़ सकता। प्यार आजादी है जिसे बंधनों में बांध कर नहीं रखा जा सकता। गुलजार ने प्यार के बारे में अर्ज किया है, ‘प्यार इक बहता दरिया है/झील नहीं कि जिसको किनारे बांध के बैठे रहते हैं/सागर भी नहीं कि जिसका किनारा नहीं होता/बस दरिया है और बस बह जाता है।’

