यूपीएससी की परीक्षा दुनिया में सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। इस परीक्षा को पास करना बहुतों का सपना होता है। आईएएस बनने का सपना लिए बहुत से गरीब परिवार के बच्चे दिल्ली आते हैं; कुछ लोग कम संसाधन में भी कमाल कर दिखाते हैं तो कुछ लोगों को निराशा भी हाथ लगती है। हालांकि हार ना मानने वालों को सफलता जरूर मिलती है।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती- इस लाइन को सही कर दिखाया है उत्तर प्रदेश में भदोही जिले के कला तुलसी गांव निवासी गौरव पाण्डेय ने। परीक्षा के दौरान तबीयत खराब होने के बाद भी गौरव पीछे नहीं हटे और इसका परिणाम उन्हें 2022 में आए यूपीएससी रिजल्ट में 168 रैंक के रूप में मिला। आइए पढ़ते हैं उनके संघर्ष की कहानी-
दादा की इच्छा थी आईएएस-आईपीएस बनकर देश की सेवा करें
जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में गौरव पाण्डेय ने बताया कि हम जिस समाज में रहते हैं खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में वहां हम बचपन से सुनते आते हैं कि कलेक्टर बनना है। पहले तो मुझे यूपीएससी का मतलब सिर्फ आईएएस आईपीएस ही पता था बाकी चीजें तो बाद में पता चली। मेरे स्वर्गीय दादा जी की इच्छा थी कि मैं आईएएस बनूं। जब कॉलेज में आया तो आईएएस आईपीएस की स्टोरीज सुनी। इनके बारे में पढ़ा तो मुझे लगा मुझे इतना तो मौका मिलेगा कि मैं कुछ कर सकूं। जब आपको पता चल जाता है कि आपको जीवन में क्या चाहिए फिर उसके बाद आपके रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं।
चौथी प्रयास में क्लियर हुआ यूपीएससी
गौरव ने बताया कि, ‘तीन बार मुझे असफलता मिली लेकिन इससे मैंने हार नहीं मानी। असफलता जीवन में बहुत कुछ सिखाती है। जो भी कोई असफलता को जीना सीख गया वह कुछ भी कर सकता है। क्योंकि आप कुछ भी करिए कहीं भी नौकरी करिए लेकिन सबसे बड़ा चैलेंज है फेलियर से डील करना। क्योंकि फेलियर ही हमें बताता है कि खुद को कैसे इम्प्रूव करना है। यदि मेरा यूपीएससी में ना भी होता तो इन 4 अटेम्पट में मैं इतना सीख चुका था कि फेल होने के बाद भी कैसे मैं उभर कर आऊं। क्योंकि यह सीख गए तो निश्चित तौर पर आप कुछ बेहतर ही करेंगे।’
गौरव कहते हैं कि, ‘दो मौके अभी और हैं मेरे पास जिसे मैं देना चाहूंगा। मैं अपने आपको बहुत ही सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे इस रैंक पर आईपीएस मिल सकता है और मेरे पास देश की सेवा करने का पूरा मौका है। लेकिन बचपन से आईएएस बनने का सपना रहा और दादा जी भी यही चाहते थे तो उनकी इच्छा के लिए मैं प्रयास करूंगा। लेकिन मैं इस सफलता से बेहद खुश और संतुष्ट हूं।’

परीक्षा के दौरान बिगड़ी तबीयत, फिर भी नहीं डिगा हौसला
गौरव ने बताया कि जनवरी 2021 में लॉकडाउन लगा था और उस दिन संयोग से दिल्ली में बारिश भी हो रही थी। सुबह 7 बजे से पेपर था, कोई गाड़ी और कैब मिल नहीं रही थी। सालों की मेहनत को मैं बर्बाद नहीं करना चाहता था। मेट्रो तक जाने में मैं पूरी तरह से भीग गया था। उस ठंडी के मौसम में पूरी तरह से भीग जाना और 6 घंटे भीगे कपड़ों में परीक्षा देना बहुत मुश्किल रहा।
गौरव बताते हैं कि मोजे तक भीगे हुए थे, जिसके बाद घर पहुंचा तो बुखार आ गया। परीक्षा लंबी चलती है। इस दौरान दूसरे दिन मैं 102 से 103 डिग्री बुखार में पेपर लिख रहा था। वहीं कई बार खांसी के दौरान मुंह में ब्लड आ गया, इसको लेकर मैं चिंतित तो हुआ लेकिन परीक्षा इस बार निकालनी थी। परीक्षा खत्म तो हो गई लेकिन बुखार खत्म नहीं हुआ, बाद में जांच में पता चला कि कोविड को गया है। मुझे इसकी उम्मीद भी नहीं थी। क्योंकि परीक्षा की तैयारी के दौरान आप कई माह तक घर से बाहर नहीं निकलते हैं तो शरीर भी अचानक से कुछ झेल नहीं पाता।
आईबी में भी हो गया था सेलेक्शन
गौरव पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए और एमए अंग्रेजी साहित्य से किया है। दो माह पूर्व उनका चयन इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) में इंटेलिजेंस अधिकारी के पद पर हुआ था, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया।
ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को दिया मंत्र
गौरव का कहना है कि आईएएस और आईपीएस की तैयारी में ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के लड़के बहुत अच्छा करते हैं। कहा कि परिस्थितियों से लड़कर ऊपर आना पड़ेगा। यूपीएससी का पेपर ऐसा बनाया जाता है कि ग्रामीण क्षेत्र से आए बच्चे हों तो उनको किसी तरह का नुकसान न हो अथवा कोचिंग करने वाले बच्चों को अतिरिक्त फायदा न मिले। इस परीक्षा के लिए मेहनत से पढ़ाई करनी पड़ेगी। कहा कि आपको कुछ जरूरत है अथवा कोई कमजोरी है तो आपको अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी। उनका कहना है कि परीक्षा के समय 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे।
ऐसा है परिवार
गौरव पाण्डेय के पिता अरुण कुमार पांडेय सेना में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। मां गृहणी हैं, जबकि बड़े भाई सौरभ पांडेय सेंट्रल बैंक ज्ञानपुर शाखा में असिस्टेंट मैनेजर हैं। गौरव और इनका परिवार दिल्ली में है।