उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। समाजवादी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव चुनाव मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस के लिए प्रियंका गांधी वोट मांग रही हैं। इससे पहले 2017 का चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ था। साल 2014 के चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव से कांग्रेस के साथ गठबंधन पर पूछा गया था तो उन्होंने साफ कह दिया था कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी।

वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला ने मुलायम सिंह यादव से पूछा था, ‘आप कांग्रेस के साथ मिलकर नहीं लड़ेंगे ये साफ हो गया है। लेकिन लोग कई बार कहते हैं कि आपके तेवर कभी नरम तो कभी गरम वाले होते हैं और आप सौदेबाज़ी अंदर से करते हैं।’ उन्होंने इसके जवाब में कहा था, ‘हम पहले ही साफ कर चुके हैं कि हमारा कोई सवाल ही नहीं है कि कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ें। अब इसमें सौदेबाजी जैसी कोई बात ही नहीं है या तो हम कोई अपनी पार्टी का भला तलाश रहे होते।’

मुलायम सिंह यादव कहते हैं, ‘जहां तक हमारे केंद्र में आने की बात है तो चुनाव के बाद तय हो जाएगा कि हमें क्या मिलता है। अब ये तो चुनाव के बाद फैसला किया जाएगा कि हमें कांग्रेस के साथ आगे भी रहना है या अकेले ही आगे की राह तय करनी है। हमारे खिलाफ हर चीज को लेकर मुद्दा बनाया जाता है। हमने कभी जीवन में आडवाणी जी और बीजेपी का समर्थन नहीं किया। उन्होंने एक बार हमसे कहा कि यूपी में कानून-व्यवस्था खराब है तो हमने उसका ध्यान दिया और अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि इसे जल्दी ठीक किया जाए।’

राहुल गांधी का समर्थन करेंगे? यूपी के पूर्व सीएम ने कहा था, ‘राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात पर कांग्रेस विचार करे। हमारे कुछ मानने या नहीं मानने से फर्क तो पड़ता नहीं है। जहां तक हमारा सवाल है फिलहाल हमने इस पर ऐसा कोई फैसला नहीं किया है। अब कोई हम अकेले तो राहुल को पीएम बना नहीं सकते हैं। चुनाव होने दीजिए उसके बाद जो भी दृश्य निकलकर सामने आएगा उसके बाद ही कुछ फैसला किया जाएगा।’

प्रधानमंत्री बनना चाहते थे मुलायम? एक अन्य इंटरव्यू में इसके जवाब में मुलायम सिंह यादव ने कहा था, ‘हम प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं या नहीं ये तो समय बताएगा। लेकिन एक बात तो साफ है कि एक बार हम पीएम बनने वाले थे। सुबह समय भी तय हो चुका था। रात को हमारे घर पर मीडिया और कार्यकर्ता भी पहुंच गए थे, लेकिन कुछ नेताओं को ये बात पसंद नहीं आई और उन्होंने इसका विरोध कर सब खराब कर दिया था।’