उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया चुनाव के चलते एक बार फिर चर्चा में हैं। अयोध्या से चुनाव प्रचार की शुरुआत करने वाले राजा भैया ने साफ कर दिया है कि इस बार वह मिलती-जुलती विचारधारा वाले दलों से ही गठबंधन करेंगे। राजा भैया कुंडा से सात बार चुनाव जीत चुके हैं और हर बार वह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरते हैं।
राजा भैया से एक बार लगातार मिल रही जीत के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ‘इकलौती संतान होने के बाद भी माता-पिता ने मुझे बहुत अनुशासन में रखा। वह चाहते हैं कि मैं जमीन से हमेशा जुड़ा हुआ ही रहूं। यही वजह है कि आज भी कुंडा की जनता मुझे पसंद करती है, क्योंकि उनके लिए हमने कई काम किए हैं जो कोई भी विधायक या सांसद नहीं करता।’
राजा भैया ने एक इंटरव्यू के दौरान उनके राजनीतिक गुरु के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ‘हमारे ऊपर हमेशा गुरुजी देवरहा बाबा का आशीर्वाद रहता है। हम आज जो भी बन पाएं हैं वो सिर्फ उनके आशीर्वाद के कारण ही बन पाए हैं। उनकी कृपा से ही हमने अपने जीवन में हर चीज पाई है। अब चाहे वो राजनीति हो या निजी जीवन में हम हर चीज का शुभारंभ उनके आशीर्वाद से ही करते हैं।’
निर्दलीय चुनाव ही क्यों लड़ते हैं राजा भैया? रघुराज प्रताप सिंह ने बताया था, ‘हम कॉलेज के दिनों से राजनीति में सक्रिय हैं। हम कॉलेज में भी कभी किसी दल के साथ नहीं जुड़े। कॉलेज पूरा होने के बाद जीवन ऐसे बदला कि राजनीति में आने का फैसला कर लिया। हमने बिना किसी दल से संपर्क किए पहला चुनाव निर्दलीय लड़ा और उसमें शानदार जीत हासिल की थी। इसके बाद कभी ऐसा हुआ ही नहीं कि किसी पार्टी में शामिल होने के बारे में विचार भी आया हो।’
बता दें, राजा भैया ने साल 1993 में पहली बार विधायक का चुनाव जीता था। इसके बाद उन्होंने कभी हार का सामना नहीं किया। साल 2012 के चुनाव में राजा भैया ने 88 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो अपने आप में बड़ी जीत थी। हालांकि बीएसपी की सरकार में उन्हें जेल जाना पड़ा था, लेकिन मुलामय सिंह यादव के सीएम बनते ही वह बाहर आ गए थे और उन्हें कैबिनेट में भी जगह दी गई थी।