Mahendra Singh Tikait: किसान आंदोलन पर सियासत का दौर जारी है। खासकर इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे तमाम नेताओं में से एक राकेश टिकैत को लेकर तमाम बातें कही जा रही हैं। इस बहाने उनके पिता और किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का जिक्र भी किया जा रहा है। महेंद्र सिंह टिकैत को किसानों का मसीहा भी कहा जाता था। वे इतने लोकप्रिय थे कि उनकी एक आवाज पर लाखों किसान इकट्ठा हो जाते थे। यही वजह थी कि सरकारें उनके नाम से कांपती थीं।

अपनी सादगी और दो टूक शैली के लिए मशहूर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को जो तमाम बातें खास बनाती थीं, उनमें से एक थी उनके आंदोलनों में देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक। बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक महेंद्र सिंह टिकैत के आंदोलनों में मंच पर एक मुसलमान जरूर रहता था। उनके नेतृत्व में हुए अधिकतर पंचायतों की अध्यक्षता सरपंच एनुद्दीन और मंच संचालन का काम गुलाम मोहम्मद जौला किया करते थे। जो चौधरी साहब के बेहद करीबी माने जाते थे।

मुस्लिम युवती को न्याय दिलाने के लिए किया आंदोलन: हर हाल में धार्मिक एकता को बरकरार रखने के हिमायती चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के लिए तो लड़ते ही थे, लेकिन एक मौका ऐसा भी आया जब उन्होंने एक मुस्लिम युवती को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन किया। दरअसल, मुजफ्फरनगर के ही सीकरी गांव की रहने वाली नईमा नाम की मुस्लिम युवती का अपहरण हो गया। जब कई दिन बाद भी उसका पता नहीं चला तो परिजन टिकैत के पास पहुंचे और अपनी व्यथा सुनाई।

इसके बाद टिकैत के नेतृत्व में किसानों ने प्रशासन-सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सैकड़ों किसान भोपा नहर पर धरने पर बैठ गए। फिर स्थानीय प्रशासन से लेकर सीएम तक ने उनसे बात की। नईमा की तलाश में कई टीमें लगा दी गईं। बाद में 10 अगस्त को नईमा की लाश बरामद हुई थी।

चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को एक वर्ग जाटों का नेता कहता रहा है, लेकिन ऐसे कई मौके आए जब उनका संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन’ किसानों के अलावा समाज के हर वर्ग और जाति के साथ खड़ा नजर आया। महेंद्र सिंह टिकैत की जो एक और खास बात थी वो ये कि वे अपने आन्दोलन में किसी भी राजनीतिक दल को मंच पर नहीं आने देते थे। यहां तक कि अपने गुरु चौधरी चरण सिंह की विधवा गायत्री देवी और उनके बेटे अजित सिंह को भी रोक दिया था।