दो साल से कम उम्र के बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है जिसकी वजह से उनके बीमार होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। छोटे बच्चों पर बदलते मौसम का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। बदलते मौसम में बच्चों को निमोनिया बेहद परेशान कर सकता है। निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर बच्चों में देखने को मिलती है।

दुनियाभर में हर साल हजारों बच्चें इस बीमारी की वजह से अपनी जान गवा देते हैं। इस बीमारी का खतरा दो साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा रहता है। अगर इस बीमारी का समय पर पता नहीं लगाया जाए तो ये बीमारी जानलेवा हो सकती है।

निमोनिया की बीमारी का कारण: निमोनिया की परेशानी बैक्‍टीरिया, वायरस की वजह से फेफड़ों में सूजन होती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षणों की जल्दी पहचान कर ली जाए तो उसका उपचार समय पर किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि बच्चों में निमोनिया के लक्षण कौन-कौन से हैं और ये बीमारी कितने दिनों में दूर होती है। घर में बच्चे का इस बीमारी से बचाव करने के लिए कौन-कौन से उपाय अपना सकते हैं।

बच्चे में निमोनिया के लक्षण:

  • खांसी जो बलगम पैदा करती है,
  • उल्टी और दस्त,
  • भूख में कमी होना,
  • बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होना,
  • सांस लेते समय घरघराहट महसूस होना,
  • खांसी, हर वक्त थकान और बुखार होना
  • ठंड लगना
  • तेज़ सांस लेना
  • सिरदर्द होना इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं।

इस बीमारी की जांच कैसे कराएं:

  • बच्चे में इस बीमारी की पहचान करने के लिए बच्चे का एक्स-रे कराएं।
  • बच्चे के खून की जांच, सीरम टेस्ट या फिर छाती का एक्स-रे कराया जाता है।

इस बीमारी से बच्चे का बचाव कैसे करें।

  • बच्चे का टीकाकरण जरूर कराएं। पीसीवी वैक्सीन इस बीमारी से बचाव करने में असरदार साबित होती है।
  • बच्चे को ज्यादा से ज्यादा आराम कराएं।
  • लिक्विड फूड अधिक दें।
  • बच्चे का कमरा साफ और हवादार बनाएं।
  • बुखार और बेचैनी के लिए बच्चों को दवाई खिलाएं।

बच्चे का घरेलू उपचार करें: न्यू बॉर्न बेबी को निमोनिया हो गया है तो मां का दूध पिलाएं। बच्चे को बाहर का दूध पिलाने से परहेज करें।
5 साल से छोटे बच्चे को हल्दी वाला दूध पिलाएं। एक गिलास गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर बच्चे को दूध पिलाएं। हल्दी का दूध बच्चे की इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग करेगा।