मॉनसून में त्वचा से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं। अक्सर एक्जिमा के चलते त्वचा पर जलन होती है। छाले, स्किन रैशेज़ और त्वचा की परत उतर सकती है। एटोपिक डर्मेटाइटिस (एडी) एक्जिमा का सबसे आम रूप है। कई लोग इसे चकत्ते वाली खुजली भी कहते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक दो-तीन प्रतिशत वयस्कों और करीब 25 प्रतिशत बच्चों में यह बीमारी बेहद आम है। एडी को आसान भाषा में समझें तो यह एक तरीके से लंबे समय तक बनी रहने वाला क्रॉनिक सूजन है।
क्या हैं इस बीमारी के मुख्य लक्षण:
- सूखी-खुरदरी त्वचा
- त्वचा पर चकत्ते का निशान
- त्वचा पर बिना वजह दर्द होना
- त्वचा का फटना या लाल हो जाना
- पपड़ी बनना या तरल पदार्थ जैसा रिसाव होना
मुंबई के डी.वाई. पाटिल अस्पताल की डॉ. किरण गोडसे बताती हैं कि लगभग 10-15 प्रतिशत भारतीयों में जन्म के पहले वर्ष से ही एडी होने के आसार होते हैं। हालांकि इसका बचपन में ही इलाज किया जाता है। बता दें कि लगभग 4 में से एक वयस्क को एडी के लक्षणों का पता 18 साल के बाद लगता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इससे प्रभावित लोगों में से एक तिहाई बच्चों और करीब 40 प्रतिशत वयस्कों में इस बीमारी के कारण जीवन की गुणवत्ता पर बेहद नकारात्मक असर पड़ता है। कई मामलों में वे डिप्रेशन, एंग्जायटी आदि से घिर जाते हैं। सुसाइड का भी खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टर्स के मुताबिक एडी किसी भी प्रकार की क्यों न हो, खुजली होने की वजह से यह काफ़ी परेशान करती है। गंभीर मामलों में त्वचा का रिसना, पपड़ी के साथ खुजली चिंता का विषय बन जाती है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर आपके शरीर पर चकत्ते, बार-बार खुजली या इस तरह का कोई भी लक्षण दिखे तो इसे कतई नजरंदाज न करें। तत्काल डॉक्टर की सलाह लें। बीमारी को नजरंदाज करने पर समस्या बढ़ जाती है।